बरेली: कम लगात में तिल की खेती से अच्छा मुनाफा कमा रहे किसान

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बरेली, अमृत विचार। जैविक खेती से सिर्फ उत्पादन ही नहीं बढ़ता बल्कि जमीन की उर्वरा शक्ति भी बढ़ती है और पानी भी बचता है। यही वजह है कि परंपरागत खेती की बजाय जिले में किसानों का रुझान जैविक विधि से तैयारी की जाने वाली तिल की खेती की ओर बढ़ा रहा है। देखरेख और कम …

बरेली, अमृत विचार। जैविक खेती से सिर्फ उत्पादन ही नहीं बढ़ता बल्कि जमीन की उर्वरा शक्ति भी बढ़ती है और पानी भी बचता है। यही वजह है कि परंपरागत खेती की बजाय जिले में किसानों का रुझान जैविक विधि से तैयारी की जाने वाली तिल की खेती की ओर बढ़ा रहा है। देखरेख और कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाली इस आधुनिक खेती की लोकप्रियता का हिसाब से इसी बात से लगाया जा सकता है जिले में करीब साढ़े तीन हजार हेक्टेयर में किसान खेती कर मुनाफा कमा रहे हैं।

तिल की खेती कम पानी वाले इलाकों में की जाती है। कम लागत में अच्छी आए देने वाली तिल की फसल लोगों में कम प्रचलित है लेकिन पिछले कुछ सालों से आसमान छू रहे खाद्य तेलों के दाम ने किसानों को तिलहन की फसलों की तरफ आकर्षित कर दिया है। कृषि जानकारों का कहना है तिल वैसे तो बहुपयोगी है। रेबड़ी, लड्डू बनाने के साथ मिश्री समेत अन्य रूपों में इसका इस्तेमाल किया जाता है। इसके तेल का उपयोग पूजा-पाठ व शरीर में लगाने के लिए किया जाता है।

वर्तमान समय में तिल के तेल की मांग बढ़ने से इसकी कीमतों में भी उछाल आया है। इसलिए किसान तिल की खेती कर मालामाल हो सकते हैं। हल्की रेतीली, दोमट मिट्टी तिल उत्पादन के लिए उपयुक्त मानी जाती है। इसलिए हर साल जुलाई के द्वितीय पखवारे में तिल की बोआई अवश्य कर देनी चाहिए। इसकी खेती के लिए भूमि की दो-तीन जोताई कल्टीवेटर से कर एक पाटा लगाना होता है। इससे भूमि बोआई के लिए तैयार हो जाती है। इसमें लागत कम और मुनाफा अधिक होता है। इसके पकने की अवधि 80 से 85 दिन और उपज क्षमता दो से ढाई क्विंटल प्रति बीघा है।

खेती करने की है यह विधि
इसकी खेती अकेले या सहफसली के रूप में अरहर, मक्का एवं ज्वार के साथ की जा सकती है। तिल की बोआई कतारों में करनी चाहिए। इससे खेत में खरपतवार एवं अन्य कृषि कार्य में आसानी होगी। बोआई 30-45 सेंटीमीटर कतार से कतार एवं 15 सेमी पौध से पौध की दूरी एवं बीज की गहराई दो सेमी रखी जाती है।

किसानों को रुझान पिछले कुछ समय से तिल की खेती की तरफ बढ़ा है। वर्तमान में करीब साढ़े तीन हजार हेक्टेयर में तिल की खेती किसान कर रहे हैं। इसमें अनुदान की व्यवस्था भी है। किसी योजना के तहत तिल का वितरण होता है तो शत-प्रतिशत अनुदान मिलता है। सामान्य वितरण में पचास प्रतशित अनुदान है। -धीरेंद्र सिंह, कृषि उप निदेशक

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