बरेली: सुरों की महफिल से सजा रिद्धिमा का मंच

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बरेली, अमृत विचार। एसआरएमएस रिद्धिमा में हुए ‘इंडीफोक’ कार्यकम में गुरुओं ने राजस्थानी, आसामी, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के लोक गीतों पर एक से बढ़कर एक प्रस्तुति देकर श्रोताओं का मन मोह लिया। गुरुवार को सजी संगीत की शाम की शुरुआत राग मांड और राग पहाड़ी लोक संगीत से हुई। इसके बाद राजस्थान की खूबसूरती …

बरेली, अमृत विचार। एसआरएमएस रिद्धिमा में हुए ‘इंडीफोक’ कार्यकम में गुरुओं ने राजस्थानी, आसामी, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के लोक गीतों पर एक से बढ़कर एक प्रस्तुति देकर श्रोताओं का मन मोह लिया। गुरुवार को सजी संगीत की शाम की शुरुआत राग मांड और राग पहाड़ी लोक संगीत से हुई। इसके बाद राजस्थान की खूबसूरती लिए ‘अल्लाह जिलाई बाई’ के प्रसिद्ध लोकगीत ‘पधारो म्हारे देस’ पर गुरु स्नेहाशीष मिश्रा ने प्रस्तुति देकर श्रोताओं की खूब तालियां बटोरीं। आगे पहाड़ों की खुशबू बिखेरते पहाड़ी लोकगीत ‘नैनी की मधुली’ को गुरु शिवांगी मिश्रा ने अपनी आवाज से सजाया।

गायिका इंदु परडल ने राजस्थान के बंजारों का लोकप्रिय गीत ‘मोरनी बागा मा बोले’ को गाया जिसे श्रोताओं ने खूब सराहा। रिद्धिमा के गुरुओं ने राजस्थान और उत्तर प्रदेश की लोक कला को संगीत से पेश किया। कार्यक्रम में आगे असम के मनमोहक लोक गीत ‘डोला ओ डोला’ पर स्नेहाशीष मिश्रा और इंदु परडल ने अपनी आवाज से लोगों का मन मोह लिया। प्रेम रस को दर्शाता उत्तर प्रदेश का प्रमुख लोकगीत ‘ओ री दईया’ को गायिका डा. रीता शर्मा ने अपनी सुरीली आवाज दी।

कार्यक्रम के अंत में इंदु परडल, स्नेहाशीष मिश्रा, डा. रीता शर्मा और शिवांगी मिश्रा ने अपनी आवाज से भारतीय लोकगीतों के साथ कार्यक्रय को भी अपने अंजाम तक पहुंचाया। संगीत के बिना गीत अधूरे हैं इसीलिए संगीत ने भी कार्यक्रम में चारचांद लगाए।

इसमें तबले पर शिवशंभु कपूर और दीपक सहाय, सारंगी पर अनीश मिश्रा और उमेश मिश्रा, सितार पर कुंवरपाल, ढोलक पर जनार्दन भारद्वाज, बांसुरी पर पवन राज चौधरी और गिटार पर अंगस्टीन फ्रेडरिक ने बहुत खूबसूरती से साथ दिया। कार्यक्रम में एसआरएमएस ट्रस्ट के चेयरमैन देव मूर्ति , आशा मूर्ति, आदित्य मूर्ति , ऋचा मूर्ति और शहर के संभ्रांत लोग मौजूद रहे।

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