आरटीई के तहत प्रवेश न देना पड़ा भारी, निजी स्कूलों की रद्द होगी मान्यता, आदेश जारी

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लखनऊ। शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत 25 प्रतिशत सीटों पर गरीब बच्चों का निशुल्क प्रवेश न लेने वाले निजी विद्यालयों पर बेसिक शिक्षा विभाग अब शिकंजा कसेगा। इन विद्यालयों की मान्यता वापस लेने के लिए अपर शिक्षा निदेशक ने सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों और मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशकों को आदेश जारी कर दिया …

लखनऊ। शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत 25 प्रतिशत सीटों पर गरीब बच्चों का निशुल्क प्रवेश न लेने वाले निजी विद्यालयों पर बेसिक शिक्षा विभाग अब शिकंजा कसेगा। इन विद्यालयों की मान्यता वापस लेने के लिए अपर शिक्षा निदेशक ने सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों और मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशकों को आदेश जारी कर दिया है।

जारी आदेश में कहा गया कि 2021-22 सत्र में आरटीई के तहत चयनित बच्चों का प्रवेश न देने में राजधानी समेत प्रदेश भर में सैकड़ों विद्यालयों ने अपनी मनमानी दिखायी है, प्रवेश न लेने की काफी ​संख्या में शिकायतें आयी हैं, ऐसे में सभी जिलों के बीएसए अपने-अपने जिलों में दोषी विद्यालय प्रबंधन तंत्र के खिलाफ कार्रवाई करते हुए मान्यता वापस लिए जाने की कार्रवाई शुरू करें।

आदेश के मुता​बिक प्रवेश न लेने वाले विद्यालय की मान्यता अगर बेसिक शिक्षा परिषद से है तो विभाग के अधिकारी उसकी मान्यता वापस लेने की तत्काल कार्रवाई शुरू करें यदि सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड से है ​तो विभाग ​की ओर से जारी एनओसी को समाप्त करने की प्रक्रिया शुरू करें।

सीबीएसई और आईसीएसई वालों पर इस तरह कसेगा शिंकजा

नियम के मुताबिक किसी भी राज्य में संचालित विद्यालय यदि केन्द्रीय बोर्ड से मान्यता लेता है उसके लिए राज्य के शिक्षा विभाग से एनओसी लेनी होती है, विभाग यह एनओसी कुछ शर्तों के साथ देता है। उसमें पहली शर्त यह होती है कि राज्य सरकार के नियमों को भी मानना होगा, और जो दिशा निर्देश विद्यालयों के लिए होंगे सभी विद्यालयों पर प्रभावी होंगे। ​लेकिन इन विद्यालयों के प्रबंधकों ने प्रदेश में हजारों बच्चों का प्रवेश इस बार नहीं लिया है। ऐसे में अब कार्रवाई की तैयारी की गयी है।

शिक्षा ​विभाग के पास तरह से आयी शिकायतें

  • चयन सूची में नाम न आने के बाद विद्यालयों ने प्रवेश नहीं लिया
  • अभिभावकों को अभिलेखों के नाम पर बार-बार वापस किया
  • प्रवेश लेने के बाद भी स्कूल प्रबंधनों फीस की वसूली की है
  • निशुल्क प्रवेश के बाद भी बीच सत्र में नाम काटा गया
  • बच्चों और अभिभावाकों का भेदभाव किया गया।

पहली बार यूपी में जारी किया ऐसा आदेश

शिक्षा का अधिकार अधिनियम आरटीई के लागू होने के बाद से ​यूपी में निजी विद्यालय लगातार मनमानी कर रहे थे, लेकिन हर बार कार्रवाई से बचते रहे थे। लेकिन इस बार अपर शिक्षा निदेशक ललिता प्रदीप ने पहली बार इतना सख्त आदेश जारी किया गया है। जिसके बाद मान्यता रद्द करने की कार्रवाई होने जा रही है।

आरटीई के तहत राजधानी समेत प्रदेश भर में हजारों बच्चे ऐसे हैं जिनके भविष्य से खिलवाड़ किया गया और सत्र 2021—22 में प्रवेश से वंचित किया गया है। ऐसे स्कूल प्रबंधकों के लिए यह भी आदेश दिया गया है कि अगर वह अपनी किसी नई शाखा को लेकर मान्यता के लिए आवेदन करते हैं तो उस पर रोक लगायी जाये…ललिता प्रदीप अपर शिक्षा निदेशक बेसिक।

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