हरदोई: मोदी लहर में भी यहां नहीं खिला था कमल, क्या भाजपा इस बार लहरा पाएगी अपना परचम ?
हरदोई। हरदोई की सदर विधानसभा सीट भाजपा के लिए इस बार बहुत महत्वपूर्ण है इसकी वजह यह है कि आज तक कभी भी भाजपा का प्रत्याशी सदर क्षेत्र में नहीं जीता है। 2017 के मोदी लहर चुनाव में भी भाजपा को यहां हार का मुंह देखना पड़ा था। इस बार भाजपा ने कई बार कमल …
हरदोई। हरदोई की सदर विधानसभा सीट भाजपा के लिए इस बार बहुत महत्वपूर्ण है इसकी वजह यह है कि आज तक कभी भी भाजपा का प्रत्याशी सदर क्षेत्र में नहीं जीता है। 2017 के मोदी लहर चुनाव में भी भाजपा को यहां हार का मुंह देखना पड़ा था। इस बार भाजपा ने कई बार कमल तोड़ चुके नितिन अग्रवाल को अपना प्रत्याशी बनाया है।
हरदोई सदर क्षेत्र में कभी भी भाजपा जीत हासिल नहीं कर पाई 2017 के चुनाव में मोदी लहर हो या राम लहर भाजपा का खाता सदर विधानसभा क्षेत्र से कभी नहीं खुला।
इस बार के विधानसभा चुनाव में सदर सीट पर कमल खिलाने की तैयारी भाजपा ने कर रखी है। भाजपा ने इस बार पूर्व मंत्री नरेश अग्रवाल के पुत्र नितिन अग्रवाल को अपना प्रत्याशी बनाया है। नितिन अग्रवाल ने ही 2017 में सपा की साइकिल पर बैठकर कमल को रौंदा था। इस बार वह साइकिल छोड़कर कमल लेकर मैदान में उतरे हैं।
भाजपा ने सदर सीट को जीतने का सपना कई बार देखा लेकिन वह कभी पूरा नहीं हो सका। सदर सीट पर हमेशा गैर भाजपाई विधायक ही हुए हालांकि सदर सीट पर नितिन अग्रवाल का पैत्रक कब्जा है। 1974 में उनके बाबा श्रीशचंद्र अग्रवाल कांग्रेस से विधायक बने थे। 1980 में नितिन अग्रवाल के पिता नरेश अग्रवाल कांग्रेसी विधायक बने थे।
कांग्रेस ने 1989 के चुनाव में नरेश अग्रवाल को टिकट नहीं दिया था। इस पर नरेश अग्रवाल ने निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर कर पंजे को तोड़ दिया था । निर्दलीय चुनाव जीतकर नरेश अग्रवाल ने न सिर्फ सदस्य पर अपना कब्जा किया बल्कि पूरे प्रदेश को अपने दमखम दिखाई थी।इसके बाद से नरेश अग्रवाल की जीत का सिलसिला कभी टूटा नहीं।
1991 ,1993 ,1996 में लगातार नरेश अग्रवाल सदर सीट पर विधायक होते रहे। 2002 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर नरेश अग्रवाल फिर सदर क्षेत्र के विधायक बने। 2007 के चुनाव में भी समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी के रूप में नरेश अग्रवाल चुनाव जीते ,हालांकि उन्होंने बाद में इस्तीफा दे दिया।
2008 के उपचुनाव में नरेश अग्रवाल ने अपने बेटे नितिन अग्रवाल को चुनाव मैदान में उतार कर उन्हें शानदार जीत दिलाई । इसके बाद 2012 के चुनाव में बसपा से नितिन अग्रवाल फिर विधायक बने 2017 के चुनाव में नितिन अग्रवाल साइकिल पर सवार हो गए। इस चुनाव में मोदी की जबरदस्त लहर होने के बावजूद नितिन अग्रवाल ने कमल को रौंद दिया और सदन में पहुंच गए।
भाजपा सदैव सदर सीट पर अपना विधायक बनाने के लिए सपना देखती रही। इस बार भाजपा को अपना सपना साकार करने का मौका हाथ लगा है। इस बार उन्होंने नितिन अग्रवाल को अपना प्रत्याशी बनाया है हालांकि इस बार मोदी लहर नहीं है फिर भी भाजपा ने अग्रवाल परिवार के सुनहरे इतिहास को देखते हुए नितिन अग्रवाल को मैदान में उतारा है।
नितिन अग्रवाल का मुकाबला समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी अनिल वर्मा से है। पासी बिरादरी के अनिल वर्मा पूर्व में विधायक रह चुके हैं। सदर क्षेत्र का अधिकांश हिस्सा उनकी विधानसभा में रह चुका है। समाजवादी पार्टी ने उनके पुराने कार्यकाल व उनके जाति वोटो की अधिकता को देखते हुए उन्हें मैदान में उतारा है।
बहुजन समाजवादी पार्टी ने पूर्व सांसद सुरेंद्र पाल पाठक के पुत्र शोभित पाठक को अपना प्रत्याशी बनाकर सदर सीट हथियाने की जुगत भिड़ाई है। वहीं कांग्रेस के जिला अध्यक्ष आशीष कुमार सिंह खुद सदर क्षेत्र से प्रत्याशी हैं।
अब देखना यह है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में सदर सीट पाने का भाजपा का सपना पूरा होता है या नहीं। फिलहाल यहां पर त्रिकोणीय संघर्ष जारी है।
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