झांसी: बाल मृत्यु दर कम करने की योजना पर विस्तार से की गई चर्चा
झांसी। उत्तर प्रदेश के झांसी में जिला स्तरीय बाल मृत्यु दर समीक्षा कार्यक्रम के तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान बाल मृत्यु दर कम करने की योजना पर विस्तार से चर्चा की गयी। बाल मृत्यु कार्यक्रम के नोडेल अधिकारी डॉ. नरेश अग्रवाल शनिवार को इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि आरएफपीटीसी झांसी में …
झांसी। उत्तर प्रदेश के झांसी में जिला स्तरीय बाल मृत्यु दर समीक्षा कार्यक्रम के तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान बाल मृत्यु दर कम करने की योजना पर विस्तार से चर्चा की गयी। बाल मृत्यु कार्यक्रम के नोडेल अधिकारी डॉ. नरेश अग्रवाल शनिवार को इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि आरएफपीटीसी झांसी में जिला स्तरीय बाल मृत्यु समीक्षा कार्यक्रम का तीन दिवसीय प्रशिक्षण का समापन हो गया, इसमें बाल मृत्यु दर को कम करने के लिए बनाई गई योजना पर विस्तार से चर्चा की गई। अब बाल मृत्यु के प्रत्येक मामले का ऑडिट किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि कार्यक्रम का उद्घाटन अपर निदेशक हेल्थ डॉ़ अल्पना बरतिया ने किया। इस प्रशिक्षण में झांसी ललितपुर जालौन के 148 प्रतिभागियों ने भाग लिया। प्रशिक्षण में बताया गया कि फील्ड बेस्ड में जो मृत्यु हो रही है, उसे रोकना है। यही नहीं, फैसिलिटी बेस्ड हो या अस्पताल में प्रसव के दौरान हो या फिर 48 घंटे के अंदर हो या 48 घंटे के बाद घर में कम्युनिटी बेस में मृत्यु हो, इन सभी की मृत्यु पर नजर रखी जाएगी। नजर रखने के लिए मैकेनिज्म बनाए गए हैं, उनका लक्ष्य भी तय किया गया है। इसमें शून्य से 28 दिन के अंदर के बच्चों का ग्रुप, 29 दिन से एक साल तक के बच्चों का ग्रुप, एक से पांच साल तक के बच्चों का ग्रुप बनाया गया है।
बाल मृत्यु की रिपोर्टिंग आशा द्वारा की जाती है या इसके अलावा कोई व्यक्ति सूचना देता है तो उसे 50 रुपये का भुगतान किया जाएगा। आशा की रिपोर्टिंग पर सुपरवाइजर द्वारा फील्ड में पड़ताल की जाएगी। बच्चों की मृत्यु के 48 घंटे में आशा को रिपोर्ट करना होगा। इस रिपोर्ट के आधार पर 14 दिन के अंदर एएनएम पड़ताल करेगी और उसके द्वारा रिपोर्ट ब्लॉक में जमा की जाएगी। प्रत्येक केस की पड़ताल में एएनएम को 100 रुपये का भुगतान किया जाएगा। ब्लॉक स्तरीय टीम द्वारा कमेटी गठित की जाएगी, इसमें एक मेडिकल अधिकारी और नॉन मेडिकल अधिकारी शामिल होगा, जो एएनएम की रिपोर्ट के आधार पर ऑडिट करेगा।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा हर उस रिपोर्ट की समीक्षा की जाएगी, साथ ही जिलाधिकारी द्वारा हर तीन महीने में बाल मृत्यु कार्यक्रम की समीक्षा की जाएगी। शासन स्तर पर समीक्षा के दौरान जो गैप निकल कर आएंगे, उस पर बाल मृत्यु को कम करने की नीति तय की जाएगी। डॉ. वमल आर्य, डॉ शोभा चतुर्वेदी, डॉ मेहर बानो एवं डॉ नूपुर पांडे द्वारा प्रशिक्षण प्रदान किया गया। इस दौरान संयुक्त स्वास्थ्य निदेशक डॉ, आर के सोनी मुख्य चिकित्सा अधिकारी अनिल कुमार व कार्यक्रम के नोडल नरेश अग्रवाल बाल मृत्यु कार्यक्रम साथ में मौजूद रहे।
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