रामपुर: मलिहाबादी छोड़ो जनाब! रामपुरी आम की भी धाक

Amrit Vichar Network
Published By Amrit Vichar
On

रामपुर, अमृत विचार। मलिहाबादी छोड़ा जनाब, रामपुरी आम की भी अपनी धाक है। इस बार फसल अच्छी है तो बाग आम से लदे पड़े हैं, बहुत जल्द यह आम रामपुर ही नहीं आसपास के जिलों के साथ ही विदेशों के बाजार पर भी कब्जा कर लेगा। रामपुर रियासत काल में आम के बगीचों को विकसित …

रामपुर, अमृत विचार। मलिहाबादी छोड़ा जनाब, रामपुरी आम की भी अपनी धाक है। इस बार फसल अच्छी है तो बाग आम से लदे पड़े हैं, बहुत जल्द यह आम रामपुर ही नहीं आसपास के जिलों के साथ ही विदेशों के बाजार पर भी कब्जा कर लेगा। रामपुर रियासत काल में आम के बगीचों को विकसित किया गया था साथ ही कई नस्लें भी तैयार कराई गई थीं, जोकि देश-विदेश में धूम मचाती हैं। यहां के आम की मिठास लाजबाव है। गहरा केसरिया गूदा वाला फजली तो पीले गूदा का लंगड़ा और बंबई आम की वैरायटी भी बेहद जायकेदार हैं। नवाबों ने आम की कई कलमें तैयार कराईं जिनमें समर बहिश्त, लैली, फजरी प्रमुख हैं इसके अलावा बनारसी लंगड़े की तरह रामपुरी लंगड़ा भी अपनी अलग पहचान रखता है। जिले में आम के बागों का रकबा 3405 हेक्टेअर है और एक हेक्टेअर में करीब 12.9 मीट्रिक टन और प्रतिवर्ष आम का 43925 मीट्रिक टन उत्पादन होता है

  • नवाबों ने कई कलमें अपने यहां कराई थीं तैयार जिसमें समर बहिश्त, लैली, फजली हैं प्रमुख
  • रामपुर में होता है औसतन 43925 मीट्रिक टन आम उत्पादन, कई देशों में जाता है यहां से आम

नवाबी दौर से ही रामपुरी लंगड़ा लोगों के दिलों पर राज कर रहा है। दशहरी, चौसा भी अपनी मिठास घोल रहा है। सदर क्षेत्र का इलाका फल पट्टी के नाम से जाना जाता है। देश के कई सूबों में रामपुरी लंगड़ा आम की अलग पहचान हैं। मलिहाबाद की तर्ज पर रामपुरी दशहरी भी खूब पसंद की जाती है। फल सब्जी एसोसिएशन के महामंत्री एम आमिर खां बताते हैं कि आम की खरीद के लिए निर्यातकों ने आना शुरू कर दिया है। अधिकतर बाग की फसल बौर आने से पहले ही बिक चुकी है। निर्यातक दिल्ली की आजादपुर मंडी से भी रामपुरी लंगड़े की देश-विदेश में निर्यात करते हैं। आमिर खां बताते हैं कि प्रशासन ने पांच जून से मंडी को खाली करा लिया है और आम की बहुत दुर्गति होने वाली है। मंडी बाहर लगेगी और आम को पकाने के लिए दुकानों में रखा जाता है आम खराब होने पर या तो बहुत महंगा होगा या फिर बहुत कम कीमत पर बिकेगा।
संभल, अमरोहा और बिलारी को भी होती है पौध की सप्लाई
उद्यान निरीक्षक जगजीत सिंह ने बताया कि जिले की पौधशालाओं में तैयार आम की कलमी पौध कई साल से संभल, बिलारी और अमरोहा को सप्लाई होती है। रामपुर की पौध से ही संभल, बिलारी अमरोहा क्षेत्र में आम के बाग फल-फूल रहे हैं। इसके अलावा उत्तराखंड में भी कलमी पौध की डिमांड बढ़ी है।

शासन को भेजे गए मैंगो पैक हाउस के प्रस्ताव
उद्यान विभाग ने जिले में मैंगों पैक हाउस की स्थापना के भी प्रयास तेज कर दिए हैं। तीन महीने पहले तीन प्रस्ताव शासन को भेजे जा चुके हैं। मैंगों पैक हाउस बनने से आम के व्यापारियों को और लाभ मिलेगा।

मई से अगस्त तक पकती हैं आम की यह नस्लें
मई में पकने वाली-  बंबइया,  स्वर्णरेखा,  अलफांसो।
जून में पकने वाली- दशहरी,  लंगड़ा,       तोतापरी।
जुलाई में पकने वालीः- फजली, सीपिया, आम्रपाली।
अगस्त में पकने वालीः- बथुआ,  चौसा।

रामपुर में यह हैं प्रमुख बाग
शाहबाद का लक्खी बाग, खासबाग, बेनजीर

प्लाटिंग करने वाले कर रहे आम के बागों का सफाया
स्वार रोड पर ठोठर और, मोरी गेट, डूंगरपुर निकट पुलिस लाइन और डायमंड सिनेमा के निकट समेत शहर में कई जगह प्रापर्टी डीलर्स ने आम के बागों को साफ कर दिया। इसमें वन विभाग की भूमिका भी संदिग्ध है। डायमंड सिनेमा के निकट वक्फ की जमीन पर कब्जा करके आम के बाग को कटवाकर प्लाटिंग कर दी गई है। जिसके कारण रामपुर की बेहतरीन रहने वाली आबो हवा अब बिगड़ने लगी है।

खूब प्रचलित है मिर्जा गालिब का ‘गधे आम नहीं खाते’ का जुमला
अपने दस्तरख्वानों पर लजीज व्यंजनों की तरह रामपुर नवाबी दौर से आम के लिए भी जाना जाता रहा है। प्रसिद्ध शायर मिर्जा असद उल्लाह खां को भी आम बहुत पसंद थे मिर्जा गालिब अपनी शायरी के साथ ही अपनी हाजिर जवाबी के लिए भी जाने जाते थे। एक बार सड़क किनारे आमों का ढेर पड़ा था उधर से टहलता घूमता एक गधा आया और उसने आमों को सूंघा और आगे बढ़ गया। तभी गालिब के एक दोस्त ने कहा कि देखो गधे भी आम नहीं खाते, गालिब ने दोस्त को बरजस्ता जवाब दिया कि हां गधे आम नहीं खाते।

जिले में आम के बागों का रकबा 3405 हेक्टेअर है और एक हेक्टेअर में करीब 12.9 मीट्रिक टन है। प्रतिवर्ष आम का 43925 मीट्रिक टन उत्पादन होता है। रामपुर की तहसील सदर और शाहबाद क्षेत्र में आम के बागों की संख्या काफी है। -नरेंद्र पाल, जिला कृषि अधिकारी

ये भी पढ़ें:- लखीमपुर-खीरी: लो वोल्टेज, ट्रिपिंग की समस्या से जूझ रहे उपभोक्ता

संबंधित समाचार