हल्द्वानी: हाथी कॉरिडोर को नोटिफाई करने के बजाय खनन में जुटी धामी सरकार
हल्द्वानी, अमृत विचार। कांग्रेस ने आपदा की आड़ में हाथी कॉरिडोर में खनन की अनुमति दिए जाने का विरोध किया है। कांग्रेस ने राज्य सरकार का यह फैसला वापस नहीं लेने पर हाईकोर्ट और एनजीटी जाने की चेतावनी दी है। प्रदेश प्रवक्ता दीपक बल्यूटिया ने सोमवार को पॉलीशीट स्थित कैंप कार्यालय में हुई प्रेस वार्ता …
हल्द्वानी, अमृत विचार। कांग्रेस ने आपदा की आड़ में हाथी कॉरिडोर में खनन की अनुमति दिए जाने का विरोध किया है। कांग्रेस ने राज्य सरकार का यह फैसला वापस नहीं लेने पर हाईकोर्ट और एनजीटी जाने की चेतावनी दी है।
प्रदेश प्रवक्ता दीपक बल्यूटिया ने सोमवार को पॉलीशीट स्थित कैंप कार्यालय में हुई प्रेस वार्ता में बताया कि प्रमुख वन संरक्षक की अध्यक्षता में आयोजित अनुश्रवण समिति की बैठक में देवरामपुर और लालकुआं खनन निकासी गेटों के बीच 2.50 किमी इलाके में खनन की अनुमति दी गई है जो कि धामी 2.0 सरकार का खनन प्रेम जाहिर करती है। आरोप लगाया कि इसमें भी खनन मानकों का उल्लंघन किया गया है। वन्यजीव, वन एवं पर्यावरणीय अनापत्तियां नहीं ली गई हैं। सरकार एनएन-109 पर दवाई फार्म के समीप एलीवेटेड रोड बनाने के बजाय खनन में रुचि दिखा रही है।
उन्होंने कहा कि केंद्रीय पर्यावरण वन मंत्रालय ने वर्ष 1992 में हाथी परियोजना लागू की थी लेकिन सरकार ने हाथी कॉरिडोर नोटिफाई करना तो दूर यहां रेता बजरी की खुदाई करने की अनुमति दे दी।
बल्यूटिया ने कहा कि हाथी आईयूसीएन की सूची में पंजीकृत है। वैसे भी हाथी कॉरिडोर हाथी का मौलिक अधिकार है। अमूमन हाथी का वजन चार से पांच टन होता है। इस वन्यजीव को प्रतिदिन 200 से 300 किलो चारे की जरूरत होती है। हाथी का अनुवांशिकी गुण भी है कि वह कभी भी परिवार के भीतर प्रजनन नहीं करता है। दोनों जरूरतों को पूरा करने के लिए जंगल की जरूरत होती है और यह कॉरिडोर से ही संभव है। अगर कॉरिडोर पर खतरा मंडराया तो हाथी के अस्तित्व पर भी संकट मंडराएगा। चेतावनी दी कि यदि कॉरिडोर में खनन किया गया तो इसके खिलाफ हाईकोर्ट या एनजीटी की शरण ली जाएगी।
नंधौर अभ्यारण्य में भी दी थी खनन की अनुमति
हल्द्वानी। राज्य सरकार इससे पूर्व भी खनन को लेकर विपक्ष के निशाने पर आ गई थी जब शासन ने नंधौर वन्यजीव अभ्यारण्य के ईको सेंसटिव जोन में खनन का शासनादेश जारी किया था हालांकि हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी।
क्या कहते हैं वन अधिकारी
हाथी कॉरिडोर में खनन की अनुमति नहीं दी गई है। गौला नदी में केंद्र की खनन शर्त संख्या सात के अनुसार, अगर आपदा या बाढ़ आती है तो दोनों तरफ के इलाके में कटाव शुरू हो जाता है। तब कार्यदायी संस्था वन विभाग और मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक की देखरेख में चुगान कर सकती है। पिछले साल जब अक्टूबर में अतिवृष्टि से बाढ़ आई थी तब यहां दोनों तरफ 100-100 मीटर तक कटाव हुआ था। वैसे भी अनुश्रवण समिति ने भारत सरकार के समस्त 26 बिंदुओं के अनुपालन की स्थिति की समीक्षा करती है। इन्हीं में से एक बिंदु है यदि बाढ़ या कटाव होता है तो कार्यदायी संस्था चुगान कर सकती है। अनुश्रवण समिति ने भी साफ किया है कि केंद्र सरकार के सभी तकनीकी पहलूओं को ध्यान में रखकर आकलन कर लीजिए। इसमें खनन की अनुमति नहीं दी गई है।
संदीप कुमार, डीएफओ तराई पूर्वी वन डिवीजन
