रायबरेली: आतंकवाद के विरुद्ध इमाम हुसैन ने किया था जंग का पहला ऐलान

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रायबरेली। मुहर्रम के दूसरे दिन भी मजलिसों का दौर चलता रहा। विभिन्न इमामबाड़ों में दिन भर तकरीर होती रही और या हुसैन की सदाएं गूंजती रही। ऊंचाहार के बड़े इमामबाड़े में मुस्लिम वक्ताओं ने कर्बला में हजरत इमाम हुसैन की शहादत को अतंकवाद के विरुद्ध दुनिया की पहली जंग बताया। असगर नकवी ने कहा कि …

रायबरेली। मुहर्रम के दूसरे दिन भी मजलिसों का दौर चलता रहा। विभिन्न इमामबाड़ों में दिन भर तकरीर होती रही और या हुसैन की सदाएं गूंजती रही। ऊंचाहार के बड़े इमामबाड़े में मुस्लिम वक्ताओं ने कर्बला में हजरत इमाम हुसैन की शहादत को अतंकवाद के विरुद्ध दुनिया की पहली जंग बताया। असगर नकवी ने कहा कि करीब 14 सौ साल पहले इस्लाम के नाम पर आतंक और जुल्म ढाने वाले यजीद के खिलाफ हजरत इमाम हुसैन ने आवाज बुलंद की।

और इस्लाम व इंसानियत की रक्षा के लिए कुर्बानी देकर दुनिया में मिसाल कायम की है । आतंक के विरुद्ध यह दुनिया की पहली जंग थी । ओवैसी नकवी ने कहा कि इमाम हुसैन ने शहादत देकर खलीफा यजीद की हस्ती को मिटा दिया , आज पूरी दुनिया हुसैन के रास्ते पर चल रही है, जबकि जालिम यजीद का कोई नाम लेने वाला नहीं है।

इस मौके पर नन्हे बच्चे जमा अब्बास ने पढ़ा कि “खुदा की राह में जिस वक्त जान खोई थी, फलक ने नाला किया था, जमीन रोई थी” तो या हुसैन की सदाऐं गूंजने लगी। इस मौके पर अशरफ हुसैन ,असद नकवी , अजहर अब्बास नकवी , मो अनस , शाजू नकवी , अर्श नकवी आदि गम और मातम का हिस्सा बने।

शहर में अंजुमन सज्जादिया के तत्वाधान में मरहूम इरशाद वकील के घर से जुलूस निकला। जिसको अंजुमन ज़ैनुल एबा के नवजवानों ने उठाया और या हुसैन की सदाओं के साथ जहानाबाद चौकी, कहारों के अड्डे, खिन्नीतला होते हुए वाजिद मंजिल खालिसहाट में समाप्त किया। कहारों के अड्डे पर अंजुमन के नौरोज और उनके साथियों ने फ़ैयाज़ राएबरेलवी का कलाम पढ़ा। इस अवसर पर हसन साहब, फ़ैयाज़, साजिद, शान, रज़ा, दिलशाद, असद, मीसम, रियाजुल जाफरी, नवाब तक़ी समेत तमाम लोग मौजूद रहे।

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