पुण्यतिथि : आज भी यादों में बसते हैं कल्याण सिंह, जानिये किस दिन को मानते थे वो यादगार

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लखनऊ, अमृत विचार। आज कल्याण सिंह की प्रथम पुण्यतिथि है। उनके चाहने वाले उनकों याद कर रहे हैं। कल्याण सिंह को हिन्दुत्व व राम मंदिर आंदोलन का प्रमुख चेहरा माना जाता है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहते हुये कल्याण सिंह ने कई अहम व कड़े फैसले किये। जिसको लोग आज भी याद करते हैं। लेकिन …

लखनऊ, अमृत विचार। आज कल्याण सिंह की प्रथम पुण्यतिथि है। उनके चाहने वाले उनकों याद कर रहे हैं। कल्याण सिंह को हिन्दुत्व व राम मंदिर आंदोलन का प्रमुख चेहरा माना जाता है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहते हुये कल्याण सिंह ने कई अहम व कड़े फैसले किये। जिसको लोग आज भी याद करते हैं। लेकिन एक दिन ऐसा था जो क्ल्याण सिंह के लिए भी खास था। आखिर वह कौन सा दिन था, जिसको कल्याण सिंह भी याद किया करते थे। एटा में करीब चार दशक तक पत्रकारिता में रहने के बाद वर्तमान में उपभोक्ता आयोग के सदस्य कृष्ण प्रभाकर उपाध्याय बताते हैं कि एक बार बातचीत के दौरान मैने खुद बाबूजी से पूछा कि आपके जीवन का सबसे यादगार दिन कौन सा है। तो उन्होंने कहा कि जब बाबरी मस्जिद विध्वंस हुआ था,उसके बाद हमारी सरकार चली गयी। सरकार जाने के बाद कल्याण सिंह कलकता में हुई एक जनसभा में शामिल होने पहुंचे थे। कल्याण सिंह को देखने के लिए उस मैदान में इतने लोग आये थे कि खड़े होने की जगह नहीं थी,लोग पेड़ों पर चढ़ गये थे,लोग देखना चाह रहे थे कल्याण सिंह को। कल्याण सिंह ने खुद कहा था कि मुझे लग रहा था कि कलकता में कौन जानता होगा मुझे,लेकिन लोगों की संख्या व उत्साह देख कर ऐसा लगा रहा था कि मैदान में पहुंचे लोग अच्छे से जानते हैं।

कल्याण सिंह अपनी कविता से उठाते थे सवाल
कम ही लोग जानते हैं कि कल्याण सिंह एक ओजस्वी कवि भी थे। उनकी कविताओं में किसानों तथा आम लोगों का दर्द दिखाई पड़ता है। वह मंचो से अपने भाषण के दौरान अपनी लिखी कवितायें पढ़ा करते थे। अपनी कविता कर्जे में तु पैदा होता,कर्जे में तु पलता है…जीवन भर कर्जे का बोझ … कर्जे में ही मरता है… नंगे पैरों मालिक चलता… नौकर चलता कारों से… पढ़कर सवाल उठाया करते थे।

कृण्ण प्रभाकर उपाध्याय बताते हैं कि कल्याण सिंह को ज्यादातर लोग बाबूजी कहकर संबोधित करते रहे हैं। उन्होंने बताया कि साल 2019 की बात है, जब कल्याण सिंह जी राजस्थान के राज्यपाल थे,उस दौरान वह एटा आये हुये थे। इस दौरान सैंकड़ों लोग उनसे मिलने आ रहे थे। हम लोग भी उनसे मिलने पहुंचे थे,कृण्ण प्रभाकर उपाध्याय ने बताया कि उस समय कल्याण सिंह जी की सेहत कुछ हल्की लग रही थी,तब मैने उनसे कहा कि आप दुबले हो गये हैं,तो उन्होंने बहुत जोर से डांट लगाई और फिर धीरे से हंस कर कहा वजन कम कर रहा हूं।

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