फर्टिलाइजर योजना

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को ‘वन नेशन, वन फर्टिलाइजर’ के रूप में किसानों को सस्ती और क्वालिटी खाद भारत ब्रांड के नाम से उपलब्ध कराने की योजना की शुरुआत की। एक समारोह में पीएम मोदी ने कहा कि नैनो यूरिया किसानों को कम खर्च में अधिक पैदावार करने में मदद करेगा। किसान अक्सर फसलों …

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को ‘वन नेशन, वन फर्टिलाइजर’ के रूप में किसानों को सस्ती और क्वालिटी खाद भारत ब्रांड के नाम से उपलब्ध कराने की योजना की शुरुआत की। एक समारोह में पीएम मोदी ने कहा कि नैनो यूरिया किसानों को कम खर्च में अधिक पैदावार करने में मदद करेगा। किसान अक्सर फसलों के वृद्धि और उनमें नाइट्रोजन की कमी को पूरा करने के लिए यूरिया का इस्तेमाल करते हैं। पहले किसान यूरिया की बोरी खरीदते थे।

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अब यह काम सिर्फ एक बोतल लिक्विड नेनौ यूरिया से ही हो जाएगा। यानि नैनो यूरिया से किसानों के लिए खेती आसान हो जाएगी। कृषि क्षेत्र में सुधारों की आवश्यकता काफी पहले से महसूस की जा रही थी। किसानों के जीवन को और आसान बनाने, किसानों को और अधिक समृद्ध बनाने और हमारी कृषि व्यवस्थाओं को और आधुनिक बनाने की दिशा में कई बड़े कदम उठाए जा रहे हैं।

इस दिशा में सरकार की ओर से उठाए गए कदमों के तहत ही देशभर की सवा तीन लाख से अधिक खाद की दुकानों को प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्रों के रूप में विकसित करने का अभियान शुरू किया जा रहा है। ये ऐसे केंद्र होंगे जहां सिर्फ खाद ही नहीं मिलेंगी बल्कि बीज उपकरण मिट्टी की टेस्टिंग हो, हर प्रकार की जानकारी जो भी किसान को चाहिए, वो इन केंद्रों पर एक ही जगह पर मिलेगी।

जानकारों का मानना है कि नैनो यूरिया के बाजार में पारंपरिक होने के बाद सामान्य यूरिया की खपत आधी से भी कम होने की संभावना है। यह बाजार में अभी उपलब्ध यूरिया से सस्ती भी होगी। हर साल फसल के सीजन में खाद की बढ़ती किल्लत और कालाबाजारी को देखते हुए इफको ने यूरिया का लिक्विड फॉर्म विकसित किया है। नैनो यूरिया का पूरे देश में 90 से अधिक फसलों पर परीक्षण किया गया था। देश में सबसे अधिक आयात होने वाली वस्तुओं में उर्वरक प्रमुख है। इनकी खरीद पर हर वर्ष लाखों करोड़ खर्च करने पड़ते हैं।

पहले फर्टिलाइजर सेक्टर में काफी संकट थे। अब किसानों को वन नेशन, वन फर्टिलाइजर के जरिए बेहतर खाद भी उपलब्ध होने वाली है। भविष्य की चुनौतियों के समाधान का एक अहम रास्ता नैचुरल फार्मिंग से भी मिलता है। देश में लगभग 85 प्रतिशत छोटे किसान हैं। ऐसी स्थिति में खेती की पैदावार को बढ़ाने के लिए, अच्छी उपज के लिए, हमें खेती में नई व्यवस्थाओं का निर्माण करना होगा। ज्यादा वैज्ञानिक पद्धतियों और नई से नई टेक्नॉलॉजी को स्वीकारना होगा।

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