यूटेराइन फाइब्रॉइड: महिलाओं में गर्भाशय के ट्यूमर का एक कारण पर्यावरणीय थैलेट भी है 

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Published By Sakshi Singh
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उपभोक्ता उत्पादों के रसायन महिलाओं में गर्भाशय के ट्यूमर का कारण हो सकते हैं : अध्ययन 

वॉशिंगटन। महिलाओं में गर्भाशय का ट्यूमर एक आम समस्या है और एक अध्ययन में दावा किया गया है कि यूटेराइन फाइब्रॉइड कहलाने वाली इस समस्या का एक कारण पर्यावरणीय थैलेट भी हो सकते हैं। पर्यावरणीय थैलेट रोजमर्रा के उपभोक्ता उत्पादों में पाए जाने वाले जहरीले रसायनों को कहा जाता है। 

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शोधकर्ताओं ने कहा कि कई कंपनियों द्वारा औद्योगिक और उपभोक्ता उत्पादों में पर्यावरणीय थैलेट का उपयोग किया जाता है। चिकित्सा संबंधी और भोजन सामग्रियों में भी इनकी मौजूदगी का पता चला है। उन्होंने कहा कि हालांकि थैलेट को विषैला माना जाता है, लेकिन फिलहाल अमेरिका में उन पर प्रतिबंध नहीं है। 

अमेरिका की नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के फीनबर्ग स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ता सेर्डार बुलुन ने कहा, ये जहरीले प्रदूषक हर जगह हैं। इनका इस्तेमाल खाद्य पैकेजिंग, बाल और सौंदर्य प्रसाधन सामग्रियों के साथ साथ अन्य उत्पादों में भी किया जाता है। इनके उपयोग पर प्रतिबंध नहीं है।

बुलुन ने कहा, ये सामान्य पर्यावरण प्रदूषकों से कहीं अधिक घातक हैं। ये रसायन मानव ऊतकों को विशिष्ट नुकसान पहुंचा सकते हैं। फाइब्रॉइड वास्तव में मांसपेशियों के ट्यूमर होते हैं जो गर्भाशय के आंतरिक हिस्से की परत में विकसित होते हैं। सभी फाइब्रॉइड कैंसर उत्पन्न करने वाले नहीं होते। ऐसा नहीं है कि यूटेराइन फाइब्रॉइड से पीड़ित हर महिला को कैंसर हो। 

बुलुन ने कहा कि करीब 80 प्रतिशत तक महिलाओं को अपने जीवनकाल में फाइब्रॉइड ट्यूमर की समस्या का सामना करने की आशंका होती है। इनमें से एक चौथाई महिलाओं में इसके लक्षण नजर आते हैं जैसे अत्यधिक एवं अनियंत्रित रक्तस्राव, रक्ताल्पता, गर्भपात, बांझपन, पेट का असामान्य रूप से बड़ा होना आदि। 

पीएनएएस जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में कहा गया है कि डीईएचपी जैसे कुछ थैलेट के संपर्क में आने पर लक्षणों के साथ यूटेराइन फाइब्रॉइड की समस्या होने का खतरा अधिक होता है। डीईपीएच का उपयोग खाने के डिब्बे, जूते, कार के अंदरूनी हिस्से, पर्दो के छल्ले आदि को अधिक टिकाऊ बनाने के लिए किया जाता है। यह एक तरह का प्लास्टिक है।

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