G20 की अध्यक्षता के दौरान दुनिया को भारत की उपलब्धियों के बारे में बताएगा नीति आयोग : बेरी

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Published By Sakshi Singh
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भारत की जी20 की अध्यक्षता एक दिसंबर से शुरू हो गई है और जी20 का शिखर सम्मेलन नौ और 10 सितंबर को नयी दिल्ली में होने वाला है। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि दुनिया बड़े पैमाने पर सार्वजनिक सेवाएं देने की भारत की क्षमता को मानती है, यहां तक कि वे एलपीजी कनेक्शन देने की भी सराहना नहीं करते हैं।

नई दिल्ली। भारत की जी20 की अध्यक्षता को एक अवसर की तरह इस्तेमाल करते हुए नीति आयोग इस दौरान दुनिया को देश की उपलब्धियों के बारे में बताएगा। नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने यह बात कही है। बेरी ने कहा कि अभी दुनिया सार्वजनिक सेवाएं प्रदान करने की भारत की क्षमता की बहुत सराहना नहीं करती है, इसलिए जी20 की अध्यक्षता का लाभ उठाकर हम देश की उपलब्धियों के बारे में बताने का काम करेंगे।

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बेरी ने कहा कि लोग चीन की कहानी जानते हैं, लेकिन वे भारत की कहानी से अनजान हैं। उन्होंने कहा कि जी20 की अध्यक्षता के दौरान भारत अगले साल सितंबर में शिखर सम्मेलन तक वैश्विक स्तर पर चर्चा या सुर्खियों में रहेगा। ऐसे में यह नीति आयोग का कर्तव्य है कि हम दुनिया को भारत की कहानी के बारे में बताएं। उन्होंने कहा कि इसलिए हम लोगों को यूपीआई, कोविड-19 टीकाकरण और राशन कार्यक्रम सहित भारत की कई महत्वपूर्ण उपलब्धियों के बारे में बताएंगे।

भारत की जी20 की अध्यक्षता एक दिसंबर से शुरू हो गई है और जी20 का शिखर सम्मेलन नौ और 10 सितंबर को नयी दिल्ली में होने वाला है। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि दुनिया बड़े पैमाने पर सार्वजनिक सेवाएं देने की भारत की क्षमता को मानती है, यहां तक कि वे एलपीजी कनेक्शन देने की भी सराहना नहीं करते हैं। मेरा मानना है कि वैश्विक मानकों के हिसाब से देखा जाए, तो इतनी बड़ी संख्या में एलपीजी कनेक्शन देना लगभग अकल्पनीय है।

जी20 या समूह 20 दुनिया की प्रमुख विकसित और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं का एक अंतर-सरकार स्तर का मंच है। इसमें अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्किये, ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोपीय संघ शामिल हैं। जी20 का वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 80 प्रतिशत और वैश्विक व्यापार में 75 प्रतिशत हिस्सा है। दुनिया की दो-तिहाई आबादी इन देशों में रहती है।

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