लक्ष्मीबाई सम्मान कोष : लापरवाही की भेंट चढ़ी योजना, पीड़िताओं को लाभ दिलाने को गंभीरता नहीं दिखा रहे अधिकारी
जागरूकता की कमी से सात साल में 492 आवेदन निरस्त
मुरादाबाद,अमृत विचार। सरकार की महत्वाकांक्षी योजना रानी लक्ष्मीबाई सम्मान कोष जिले दम तोड़ती नजर आ रही है। इसके तहत पीड़िताओं को लाभ दिलाने के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है। इस बात की गवाही खुद विभागीय आंकड़े दे रहे हैं। सात वर्षों में 60 फीसदी आवेदन निरस्त किए गए हैं। इनमें तमाम खामियां मिली हैं। इसका सबसे बड़ा कारण महिलाओं में जागरूकता का अभाव बताया जा रहा है। अब तक 278 को स्वीकृति मिली है, इसमें भी पैसा मात्र 154 को ही मिल सका है।
महिला सम्मान कोष की शुरुआत 2015 में हुई थी। इसका उद्देश्य किसी भी तरह की पीड़ित महिलाओं और युवतियों की मदद करना है। इसके जरिये उनके पुनर्वास, शिक्षा एवं आजीविका के लिए सहायता उपलब्ध कराई जाती है। सरकार का प्रयास है कि हिंसा से पीड़ित महिलाओं को भी समाज की मुख्यधारा में शामिल कर राष्ट्र के विकास में उनका योगदान सुनिश्चित किया जाए। कोष की मदद से हिंसा पीड़ित महिलाओं एवं उनके आश्रितों के साथ आर्थिक रूप से निर्बल महिलाओं की शैक्षिक एवं चिकित्सीय सुविधा के लिए आर्थिक सहायता देने का भी प्रावधान है।
इन मामलों में मिलती है आर्थिक मदद
रानी लक्ष्मीबाई महिला एवं बाल सम्मान कोष योजना में एसिड अटैक, घरेलू हिंसा, दहेज हत्या आदि में भी आर्थिक मदद देने का प्रावधान है। सभी प्रकरणों की प्रक्रिया पूरी करते हुए पीड़िताओं की चिकित्सीय रिपोर्ट पोर्टल पर अपलोड की जाती है। जिला संचालन समिति की स्वीकृति के बाद शासन को भुगतान के लिए इनकी सूची भेजी जाती है।
सम्मान कोष के तहत निरस्त किए 792 आवेदनों में कई खामियां मिली हैं। किसी में खाता संख्या नहीं थी, तो किसी ने बिना मेडिकल रिपोर्ट ही आवेदन किया था। वर्तमान में 75 मामले लंबित हैं। समिति की बैठक में जल्द उन मामलों पर भी स्वीकृति मिलेगी। -राजेश गुप्ता, प्रभारी प्रोबेशन अधिकारी
आंकड़ों पर एक नजर
- कुल आवेदन 845
- स्वीकृत 278
- भुगतान 154
- निरस्त 492
- प्रोबेशन विभाग में लंबित -75
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