छात्र जीवन से मुख्यमंत्री बनने का सफर, कई कठिनाइयां आईं पर सुखविंदर ने नहीं मानी हार

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Published By Ashpreet
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हमीरपुर। हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले की नादौन तहसील के सेरा गांव में 27 मार्च 1964 को जन्मे  सुक्खू के पिता रसील सिंह हिमाचल पथ परिवहन निगम शिमला में चालक थे। माता संसार देई गृहिणी है।

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सुक्खू की पहले से एलएलबी तक की पडाई शिमला में ही हुई है। चार भाई बहनों में सुक्खू की 11 जून 1998 को शादी कमलेश ठाकुर से हुई। इनकी दो बेटियां हैं जो दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर रही हैं।

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सुक्खू ने भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआई) से राजनीति जीवन की शुरूआत की। संजौली कॉलेज में पहले कक्षा के क्लास रिप्रेजेंटेटिव और स्टूडेंट सेंट्रल एसोसिएशन के महासचिव चुने गए।

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उसके बाद राजकीय महाविद्यालय संजौली में स्टूडेंट सेंट्रल एसोसिण्शन के अध्यक्ष चुने गए। वह वर्ष 1988 से 1995 तक एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष रहे। वह वर्ष 1995 में युवा कांग्रेस के प्रदेश महासचिव बने।

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वहीं वह 1998 से 2008 में तक युवा कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष रहे। वह शिमला नगर निगम शिमला के दो बार पार्षद भी चुने गये। वर्ष 2003, 2007, 2017 और अब 2022 में नादौन विधानसभा क्षेत्र से चौथी बार विधायक चुने गए।

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वर्ष 2012 में वह चुनाव हार गये थे। वर्ष 2008 में प्रदेश कांग्रेस महासचिव बने। आठ जनवरी 2013 से 10 जनवरी 2019 तक वह प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहे।

अप्रैल 2022 में हिमाचल प्रदेश कांग्रेस चुनाव प्रचाार समिति के अध्यक्ष एवं टिकट वितरण कमेठी के सदस्य बने। सुक्खू लगभग चार दशक से कांग्रेस में हैं लेकिन उन्हें हमेशा से ही वीरभद्र सिंह के विरोधी गुट का नेता कहा जाता रहा है।

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वीरभद्र सिंह के विरोध के बावजूद उन्हें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया था कांग्रेस सरकारों में उन्हें कभी मंत्री पद नसीब नहीं हुआ।

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दस साल युवा कांग्रेस में रहने के बाद जब उन्होंने हमीरपुर जिले के नादौन से विधानसभा चुनाव लड़ा था तो उस समय उन्होंने वीरभद्र के कई फैसलों के विरोध में मुखरता दिखाई थी। उन्होंने चुनाव जीता तथा रिकार्ड साढ़े छह साल तक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद पर रहे।

तीन वर्ष पहले ही उन्हें इस पद से हटाया गया था। हाल के विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी हाईकमान ने उन्हें प्रदेश चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बना दिया था। 

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