Narendra का वचन ही है Bhupendra का शासन, इंजीनियर..बिल्डर.. और अब दूसरी बार CM बनें भूपेंद्र

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Published By Vishal Singh
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अहमदाबाद। 62 साल भूपेंद्र पटेल सोमवार दोपहर बाद एक दूसरी बार गुजरात में मुख्यमंत्री की शपथ ली। पिछले साल सितंबर में गुजरात के सीएम बनने वाले भूपेंद्र पटेल को दादा कहते हैं। इससे पहले तक वे घाटलोडिया से विधायक थे और 2017 में पहली बार जीते थे, लेकिन बीते 15 महीनों में भूपेंद्र पटेल ने अपने काम से एक अलग जगह बनाई है। यही वजह है कि पीएम मोदी ने उन्हें मृदु और मक्कम (अडिग) मुख्यमंत्री कहते हैं । भूपेन्द्र पटेल का सफर काफी रोचक हैं। वे पढ़कर इंजीनियर बने फिर बिल्डर और बाद में गुजरात के मुख्यमंत्री।

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गुजरात में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के मृदुभाषी चेहरे के रूप में पहचाने जाने वाले भूपेंद्र पटेल ने सोमवार को फिर से राज्य की कमान संभाली। राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने नए सचिवालय के पास हेलीपैड ग्राउंड में आयोजित एक समारोह में पटेल को राज्य के 18वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं ने शपथ समारोह में शिरकत की। प्रदेश में भाजपा ने प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) को शिकस्त देकर प्रचंड बहुमत हासिल किया है। भाजपा के समर्पित कार्यकर्ता भूपेंद्र पटेल ने नगर निकाय स्तर से राज्य की राजनीति में अपना मुकाम हासिल किया।

पार्टी ने पिछले साल जब राज्य में पूरी ही सरकार को बदलने का फैसला किया था तब मुख्यमंत्री पद के लिए भूपेंद्र पटेल के चयन ने सभी को चौंका दिया था। पार्टी ने तब विजय रूपाणी की जगह भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री बनाया था। मुख्यमंत्री पद की दौड़ में भूपेंद्र पटेल ने तत्कालीन उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल समेत कई अन्य को पछाड़ दिया था।

सितंबर 2021 में मुख्यमंत्री बनने से पहले भूपेंद्र पटेल को अहमदाबाद से बाहर कम ही लोग जानते थे। यहां तक कि उनसे पार्टी के अंदर भी ज्यादा लोग परिचित नहीं थे। उन्होंने गुजरात में खुद को एक नेता के तौर पर स्थापित करने के लिए कई कड़े फैसले किए। भाजपा पहले ही ऐलान कर चुकी थी कि पार्टी को बहुमत मिलने पर भूपेंद्र पटेल ही राज्य के मुख्यमंत्री होंगे। 

ओपिनियन पोल्स (सर्वेक्षणों) में वह गुजरात का नेतृत्व करने के लिए लोगों की पहली पसंद के तौर पर उभरे थे। गुजरात में पाटीदार जाति का वर्चस्व है और अच्छी-खासी संख्या में उसके मतदाता हैं। उनका राज्य की राजनीति, शिक्षा और सहकारिता के क्षेत्रों पर काफी प्रभाव है। 

पाटीदार आरक्षण आंदोलन के कारण भाजपा 2017 में 99 सीट पर सिमट गई थी। तब पार्टी ने 1995 के बाद सबसे कम सीट हासिल की थी। पार्टी के लिए यह जरूरी था कि वह इस वर्ग का भरोसा फिर से जीते। पाटीदार के उपसमूह केडवा से ताल्लुक रखने वाले भूपेंद्र पटेल को तरक्की देकर और फिर मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाकर पार्टी ने केडवा पाटीदार समुदाय को रिझाने की योजना बनाई। 

कुछ राजनीतिक पर्यवेक्षकों को लगता था कि यह वर्ग पार्टी से दूर हो गया था। अहमदाबाद में जन्मे भूपेंद्र पटेल घाटलोडिया सीट से विधायक हैं। इस सीट से पहले पूर्व मुख्यमंत्री एवं उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल विधायक रही थीं। भूपेंद्र पटेल ने 2017 में 1.17 लाख मतों के अंतर से यह सीट जीती थी। गुरुवार को घोषित हुए नतीजों के मुताबिक, भपेंद्र पटेल ने घाटलोडिया सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखा है।

 पटेल ने 1.92 लाख मतों के अंतर से जीत दर्ज की। यह सीट गांधीनगर लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है जिसका प्रतिनिधित्व केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह करते हैं। भूपेंद्र पटेल को बहुत से लोग प्यार से दादा बुलाते हैं। उन्हें आनंदीबेन पटेल का करीबी माना जाता है। भूपेंद्र पटेल 2015-2017 के बीच अहमदाबाद शहरी विकास प्राधिकरण के प्रमुख रह चुके हैं। 
इससे पहले वह 2010 से 2015 के बीच अहमदाबाद नगर निगम (एएमसी) की स्थायी समिति के प्रमुख रहे। 

सिविल इंजीनिरिंग में डिप्लोमा रखने वाले भूपेंद्र पटेल के करीबी लोगों का कहना है कि वह खुशमिजाज हैं और जमीन से अच्छी तरह से जुड़े हुए हैं। विधानसभा चुनाव लड़ने से पहले वह स्थानीय स्तर पर सक्रिय थे और अहमदाबाद जिले के मेमनगर नगर निकाय के सदस्य बने। उन्होंने दो बार इसके प्रमुख के तौर पर सेवा दी। 

भूपेंद्र पटेल सरदारधाम विश्व पाटीदार केंद्र के न्यासी भी हैं। यह पाटीदार समुदाय के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए समर्पित संगठन है। पटेल की शादी हेतलबेन से हुई है जो गृहणी हैं। उनका आवास अहमदाबाद के शिलाज इलाके में हैं। उन्हें आध्यात्मिक गतिविधियों के साथ-साथ क्रिकेट और बैडमिंटन जैसे खेल पसंद हैं। 

15 जुलाई 1962 को जन्मे भूपेंद्र पटेल के पिता का नाम रजनीकांत और उनकी पत्नी का नाम हेतल पटेल है। उनके भाई का नाम केतन पटेल है। भूपेन्द्र पटेल के बेटे का नाम अनुज पटेल और पुत्र बहू का नाम देवांशी है। पाटीदार समाज से आने वाले भूपेन्द्र पटेल ने सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई में डिप्लोमा हासिल किया है। वे कडवा पाटीदार में आते हैं।

भूपेंद्र पटेल सबसे पहले आरएसएस से जुड़े। डिप्लोमा इन सिविल इंजीनियरिंग करने के बाद बिल्डर का काम शुरू किया। 1995 में मेमनगर नगर पालिका के सदस्य का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इसके बाद 1999 और फिर 2004 में फिर से भूपेन्द्र पटेल पालिका के सदस्य बने। इसी दौरान उन्हें 1999 से 2004 तक नगर पालिका प्रमुख बनने का भी मौका मिला। इसके बाद भूपेंद्र पटेल 2008 से 2010 तक अहमदाबाद नगर निगम के उपाध्यक्ष बने। 

2015 से 2017 तक अहमदाबाद शहरी विकास बोर्ड के अध्यक्ष रहे। 2017 के चुनावों में पूर्व मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल की सीट घाटलोडिया से चुनाव लड़े और 1.17 लाख मतों से जीत हासिल की। इस बार के चुनाव में उन्होंने और बड़ी जीत दर्ज की है। उन्होंने 83 फीसदी वोट हासिल किए और कांग्रेस की उम्मीदवार अमी याज्ञनिक को 1.92 लाख वोटों से जीत दर्ज की।

भूपेंद्र पटेल काफी मृदु स्वभाव के व्यक्ति हैं। यही वजह है कि एक साल के कार्यकाल में ही उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की नजर में अपनी अलग छवि बना ली। आज उन पर दोनों नेताओं का भरोसा है। वैसे भूपेन्द्र पटेल को पूर्व मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल का करीबी माना जाता है। 

यह भी कहा जाता है कि भूपेंद्र पटेल की एक तरह से वे राजनीतिक गुरु भी रहीं हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरह भूपेन्द्र पटेल मंत्री नहीं, सीधे मुख्यमंत्री बने। बतौर मुख्यमंत्री जब भूपेन्द्र पटेल पोरबंदर में अवैध निर्माणों पर कार्रवाई की तो उन्हें बुलडोजर दादा भी कहा गया। पीएम मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान उनकी इस कार्रवाई की तारीफ की थी। इसके बाद उन्होंने नरेंद्र और भूपेन्द्र की सरकार, डबल इंजन की सरकार का स्लोगन दिया।

22 लाख रुपए की संपत्ति
2022 के चुनाव में दिए शपथ पत्र में भूपेंद्र पटेल ने 22 लाख रुपये की संपत्ति का खुलासा किया है। भूपेंद्र पटेल के नाम पर कोई जमीन नहीं है। पत्नी हेतल बेन पटेल के नाम पर 16 लाख 30 हजार रुपये की कीमत की जमीन है। भूपेंद्र पटेल के बाद 2 लाख 15 हजार 450 रुपये की नगदी है जबकि पत्नी के पास तीन लाख 52 हजार 350 रुपये की नगदी है।

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