मुरादाबाद : राष्ट्रीय खिलाड़ियों की कर्मस्थली जीआईसी हॉकी का मैदान बदहाल
अनदेखी : ईंटें बिखरीं, गंदगी व गड्ढों में तब्दील हुई मैदान की तस्वीर, जिम्मेदार इकबाल को रेलवे में नौकरी के बाद से नहीं हो रही देखभाल
मुरादाबाद,अमृत विचार। जिस मैदान ने कभी देश को कई राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी दिए हो, वह बदहाली पर आंसू बहाए तो चौंकना लाजिमी है। जिस मैदान पर खेलने के लिए खिलाड़ियों में मारामारी थी, वह आज खिलाड़ियों के दीदार को तरस रहा है। यहां अभ्यास के लिए नेटपॉस्ट तक नहीं है। यह हाल शहर के मशहूर जीआईसी हॉकी मैदान का है। इस मैदान में अब हॉकी की स्टिक की आवाजें नहीं, गिल्ली डंडा के खेल का शोर सुनाई देता है। मैदान पर गैर पेशेवर खिलाड़ी खेल रहे हैं। मैदान पर गड्ढे हैं। चारों तरफ ईंटें बिखरी पड़ी है। इस कारण हॉकी के खिलाड़ियों ने इससे दूरी बनानी शुरू कर दी है।
हॉकी कोच इकबाल खान बीते दिनों की याद साझा कर बताते हैं कि देश के बंटवारे से पहले यहां खिलाड़ी और कोच फसाहत यार खान थे। वह नए खिलाड़ियों की नर्सरी तैयार करते थे। बंटवारे के बाद वह पाकिस्तान चले गए। बताया जाता है कि पाकिस्तान ने उन्हें देश की राष्ट्रीय टीम में खेलने का मौका दिया, लेकिन उन्होंने भारत के विरुद्ध खेलने से इनकार कर दिया। इसके बाद उनसे टीम को कोचिंग देने के लिए आग्रह किया गया। उन्होंने कोचिंग देने का निर्णय लिया। 1960 के ओलंपिक में जब पाकिस्तान ने भारत को हराया था। उस समय पाकिस्तान टीम के कोच फसाहत यार खान ही थे। जीआईसी मैदान पर नए-नए खिलाड़ी तैयार हो रहे थे। शहर में 1950 के बाद 35 क्लब हॉकी थे। उस समय पूरे देश में हॉकी को प्राथमिकता दी जा रही थी। पूरा देश हॉकी खेल का दीवाना था। मेजर ध्यानचंद को आइडल मानकर खिलाड़ी उनके जैसे बनने की जद्दोजहद करते थे।
उनकी मानें तो शहर में 1996 तक आते आते तीन मुख्य क्लब ही रह गए थे। इनमें इलेवन स्टार, मुस्लिम यूथ और हिंदू यूथ क्लब शामिल थे। 1996 में जीआईसी मैदान की बागडोर अतहर खां को मिली। उन्होंने यहां मुरादाबाद हॉकी क्लब एवं हॉकी नर्सरी की स्थापना की। इसके बाद धीरे-धीरे पूरे शहर के खिलाड़ी यहां अभ्यास के लिए आने लगे। अतहर खां राष्ट्रीय स्तर पर देश के लिए खेले थे। उन्होंने 2002 में पाकिस्तान के खिलाफ मैच खेला था। इनके समय में यहां से राष्ट्रीय स्तर के कई खिलाड़ी निकले। इनमें इकबाल खान, मशकूर नबी खां, जमाल अली आदि शामिल हैं। 2005 में अतहर खां ने हॉकी नर्सरी की जिम्मेदारी इकबाल खान को सौंपी।
2013 में अतहर खां का निधन हो गया। इसके बाद जीआईसी मैदान की जिम्मेदारी इकबाल खान को सौंपी गई। इकबाल ने भी यहां से राष्ट्रीय स्तर के कई खिलाड़ी तैयार किए। इनमें मोहम्मद फराज, नीतिन कुमार सैनी, अब्दुल्लाह खान आदि शामिल हैं। इकबाल को इसी खेल से रेलवे में नौकरी मिली। हाल में यहां से 15 खिलाड़ी पंजाब यूनिवर्सिटी खेलने गए हैं। इस समय जीआईसी मैदान से हॉकी खिलाड़ियों ने दूरी बना ली है। क्योंकि मैदान में गैर पेशेवर खिलाड़ियों का बोलबाला है। वे यहां पूरे दिन गिल्ली डंडा खेलते हैं। जिससे जगह-जगह गड्ढे हो गए हैं। पूरे मैदान पर गंदगी पसरी है। इस पर जुआ भी खेला जा रहा है। कोच ने इसकी शिकायत कई बार पुलिस और जिम्मेदारों से की, मगर उसका कोई समाधान नहीं किया गया है।
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