बरेली: इलेक्ट्रॉनिक चाक पर कुम्हार बनाएंगे मिट्टी के बर्तन

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बरेली,अमृत विचार। सरकार ने कुम्हारों के लिए बड़ी सहूलियत दी है। कुम्हार अब मिट्टी के बर्तन और मटके इलेक्ट्रानिक चाक पर बनाएंगे। सरकार कुम्हारों को इलेक्ट्रानिक चाक मुफ्त में उपलब्ध करा रही है। सरकार कुम्हारों की आय दोगुनी करने के मकसद से यह सब कर रही है। कुम्हारों को मिट्टी की कोई दिक्कत न हो। …

बरेली,अमृत विचार। सरकार ने कुम्हारों के लिए बड़ी सहूलियत दी है। कुम्हार अब मिट्टी के बर्तन और मटके इलेक्ट्रानिक चाक पर बनाएंगे। सरकार कुम्हारों को इलेक्ट्रानिक चाक मुफ्त में उपलब्ध करा रही है। सरकार कुम्हारों की आय दोगुनी करने के मकसद से यह सब कर रही है। कुम्हारों को मिट्टी की कोई दिक्कत न हो। इसका ख्याल रखते हुए मिट्टी खोदने की खुली छूट दी है। जिन कुम्हारों को इलेक्ट्रानिक चाक मिला है, उनका कहना है कड़ी मेहनत, संघर्ष और कम मुनाफा कुम्हार की पहचान होती है, लेकिन इलेक्ट्रानिक चाक पाने के बाद से महसूस हो रहा है कि कुम्हारों के दिन बहुरने वाले हैं।

बाजार में चाइनीज सामानों की पकड़ मजबूत होने से कुम्हारों के बुरे दिन शुरू हो गए थे। बाकी कसर लाकडाउन ने पूरी कर दी। नतीजा यह है कि कुम्हारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया। इसको देखते हुए सरकार कम मेहनत में ज्यादा माल का निर्माण और ठीक-ठाक मुनाफा देने के लिए कुम्हारों को इलेक्ट्रानिक चाक मुहैया करा रही है।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक जिले में पंजीकृत कुम्हारों के करीब 525 परिवार हैं। इसमें करीब 467 ऐसे हैं जो कुम्हारी कला को पुश्तैनी से संभालते आ रहे हैं। इनको सरकार ने मुफ्त में इलेक्ट्रानिक चाक देने की योजना बनाई है। जिले में अभी मात्र सात इलेक्ट्रानिक चाक बांटे जा चुके हैं। इसके अलावा दो कुम्हारों को जमीन का पट्टा कराया गया है। क्षेत्रीय ग्रामोद्योग अधिकारी श्रयांश तिवारी का कहना है कि जिन कुम्हारों को अभी तक चाक नहीं मिले हैं उनको जल्द ही चाक देने का काम किया जाएगा।

एक किलोवाट की लगी है मोटर
कुम्हारों के लिए इलेक्ट्रानिक चाक खास किस्म का बनाया गया है। यह चाक गोल होता है लेकिन इसे बिजली से चलाया जाता है। इसमें एक किलोवाट का इलेक्ट्रिक मोटर लगी है। स्टैंडनुमा बॉडी पर बने चाक की रफ्तार को घटाने व बढ़ाने की भी सुविधा दी गई है। हाथ के चाक की अपेक्षा इस इलेक्ट्रानिक चाक पर तेजी से दीपक, मटकी, सुराई समेत विभिन्न सामान बनाया जा सकता है। हाथ के चाक पर तीन घंटे में जितने दीपक बनते हैं, उतने ही दीपक केवल एक घंटे में इस चाक पर बनाए जा सकते हैं।

“कुम्हारों की मेहनत का फल उन्हें नहीं मिल पा रहा था। बार-बार चाक घुमाने से शाम तक हालत पतली होना लाजिमी था। इलेक्ट्रानिक चाक कुम्हारों के लिए खुशखबरी लेकर आया है जिससे कम मेहनत में अधिक मिट्टी के बर्तन बनाए जा सकेंगे।” -पवन प्रजापति, कुम्हार

“इलेक्ट्रॉनिक चाक से मिट्टी के बर्तन व अन्य सामान बनाने में मेहनत और समय की बचत हुई है, लेकिन लाकडाउन की वजह से मिट्टी के बर्तन की बिक्री ठप हो गई है। सरकार को कुम्हारों को बिजली के बिल में भी छूट देना होगा, तभी राहत मिलेगा।” -राजेंद्र, कुम्हार

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