मुरादाबाद : पुरुष एकाधिकार के कारोबार में प्रियंका ने दिखाया दम, परिवार के लिए कुर्बान किए सपने

Amrit Vichar Network
Published By Bhawna
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मिसाल : मंडी में आढ़त चलाकर कर रहीं पालन-पोषण, सुखद भविष्य को भी दांव पर लगाया

नारी सशक्तीकरण की मिसाल पेश कर प्रियंका ने दिखाया कि बेटियों के लिए दूर नहीं आसमां

मुरादाबाद,अमृत विचार। परिवार के लिए उज्जवल व स्वर्णिम भविष्य को दांव पर लगाकर सपनों को भी कुर्बान कर प्रियंका नारी सशक्तीकरण की मिसाल पेश कर रही हैं। पुरुष एकाधिकार वाले कारोबार में कदम रखकर उन्होंने न सिर्फ अपना दम दिखाया, बल्कि मंडी में आढ़त चलाकर साबित कर दिया कि बेटियों के लिए आसमां दूर नहीं। 

पिता से विरासत में मिले कारोबार को चलाने के फर्ज ने प्रियंका के कदमों को सपनों की नगरी मुम्बई छोड़कर मुरादाबाद आने के लिए विवश कर दिया। लाइनपार सूर्यनगर में जन्मीं प्रियंका ने जब पिता मनोज कुमार शर्मा की उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए पुरुषों के एकाधिकार वाले आढ़त के कारोबार में कदम रखा तो उन्हें चुनौतियों से जूझना पड़ा। कारोबार में उन्हें देख कर कोई सफलता पर सवाल खड़ा करता तो कोई चंद दिनों का मेहमान बताता रहा। धुन की पक्की प्रियंका ने किसी की परवाह नहीं की। सब्जी मंडी में आलू-प्याज की थोक विक्रेता बनकर वह पिता की विरासत को रफ्तार देने में लग गईं। मंडी में पुरुषों के बीच रहकर अपने कदमों को मजबूत किया। आर्थिक रूप से दृढ़ होकर परिवार खर्च के साथ छोटे भाई और बहन की पढ़ाई भी करा रही हैं। 

चार बहनों, एक भाई में बीच की हैं प्रियंका 
21 वर्षीय प्रियंका शर्मा ने हिंदू डिग्री कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई की। परिवार में उनके अलावा तीन बहन और एक सबसे छोटा भाई है। उनके पिता का 2014 में निधन हो गया था। इसके बाद बड़ी बहन आढ़त चलाने के लिए आगे आईं और पढ़ाई भी जारी रखी। तब प्रियंका 10वीं की परीक्षा दे रहीं थी। 2016 में इंटर के बाद बेहतर भविष्य के लिए वह मुम्बई चली गईं। वहां जल्द ही अच्छा प्लेटफार्म मिला और कलर चैनल पर आने वाले एक नाटक में नर्स की भूमिका निभाई। इससे हौसला बढ़ा तो एनडी टीवी, स्टार प्लस जैसे चैनलों पर आने वाले नाटकों में भूमिका निभाने का अवसर मिला। मगर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।

बड़ी बहन दीक्षा के कारोबार न संभाल पाने के चलते परिवार पर आर्थिक संकट गहराया तो  प्रियंका को अपने उज्ज्वल भविष्य के पथ को छोड़ घर लौटना पड़ा। 2019 दिसंबर में वह यहां आईं और मंडी समिति में पिता की सूनी आढ़त को संभाला। तीन साल से वह आढ़त पर आलू-प्याज का कारोबार चला रही हैं। मंडी में लोग अपने समकक्ष एक छोटी सी उम्र में कारोबार को संभालने पर उनके हौसले के दाद देने वाले भी कम नहीं हैं। मगर प्रियंका के मन के किसी कोने में मुम्बई जाने की कसक बरकरार है। वह घर की जिम्मेदारियों को पूरा कर मुम्बई जाने का जज्बा रखे हैं।

बड़ी बहन हैं सिपाही
जब प्रियंका ने आढ़त की जिम्मेदारी बखूबी संभाल ली तो बड़ी बहन दीक्षा पढ़ लिखकर 2021 में उत्तर प्रदेश पुलिस में सिपाही के पद पर नौकरी पा गईं। दूसरे नंबर की बहन मोहिनी भी हैदराबाद में कोर्स कर रही है। छोटी बहन मोगा व सबसे छोटा भाई राजा भी पढ़ रहे हैं। मां उन्हें अपने बेटे की तरह दुलारती हैं।

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