बरेली: पीएम आवास मिल जाता तो यूं सर्दी में न ठिठुर रहे होते
बरेली, अमृत विचार। प्रधानमंत्री आवास सरकार की सर्वाधिक महत्वाकांक्षी योजना है लेकिन ऐसे असहाय लोगों की कमी नहीं है जो सर्वाधिक पात्र होने के बावजूद प्रधानमंत्री आवास पाने में कामयाब नहीं हो पा रहे हैं। ऐसे ही कुछ लोग बीच शहर सिकलापुर में हैं जिन्हें खंडहर होते और गिरते मकानों में पन्नी डालकर सर्दी से बचाव करना पड़ रहा है।
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सिकलापुर की तंग गली में रहने वाली 51 वर्षीय प्रेमवती के मुताबिक उनके घर का लिंटर बुरी तरह जर्जर हो चुका है। उसमें जगह-जगह बड़े छेद हो गए हैं जिन्हें काली पन्नी डालकर ढकने की कोशिश की है। फिर भी सर्द हवा रोके नहीं रुकती। इसी छत के नीचे पूरा परिवार रहता है। डर लगा रहता है कि बारिश में कहीं कोई अनहोनी न हो जाए। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत कई बार प्रार्थना पत्र दे चुकी हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई है।
अनिल कुमार का घर घर धीरे-धीरे टूटकर पूरी तरह छतविहीन हो चुका है। उनकी पत्नी कुसुम ने बताया कि वह परिवार के साथ घर के पास किराये पर रह रही हैं। उनके जर्जर घर की सिर्फ दीवारें बची हैं। इस घर में रहती तो अनहोनी हो सकती थी। कई बार प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवेदन करने के बावजूद मंजूरी नहीं मिली। समझना मुश्किल है कि अफसरों की कौन पात्र नजर आते हैं। लता ने बताया कि पिछले दिनों घर में बनी सीढ़ियों का एक हिस्सा टूट गया था। मकान में जगह-जगह दरार पड़ चुकी है। हमेशा डर बना रहता है। सर्दियों की रात ज्यादा डरावनी लगती है।
युवा लोधी शक्ति मंच के अध्यक्ष जय प्रकाश राजपूत ने बताया कि सिकलापुर में बेबी पत्नी राकेश्, रानी पत्नी स्वर्गीय नन्हें, विमला पत्नी कुंदन लाल आदि कई लोग ऐसे हैं जिन्होंने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवेदन किए हैं लेकिन इन गरीबों के आवेदन पर किसी अफसर ने ध्यान नहीं दिया। ये लोग लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं कि कोई अफसर उनके मकान का सर्वे कर वास्तविक रिपोर्ट बना दे ताकि उन्हें सिर छिपाने की जगह मिल जाए।
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