पश्चाताप की बात कहकर राधे ने दिया संदेश, कहा आवेश में आकर बागी बनना ठीक नहीं

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Published By Virendra Pandey
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अमृत विचार, चित्रकूट। जेल से बाहर आने के बाद राधे उर्फ सूबेदार के राजनीति को लेकर दिए गए बयान ने एक बार फिर जिले में राजनीतिक लोगों और दस्युओं के साथ की पुष्टि की है। राधे के बयान में कितनी सत्यता है, कितनी नहीं यह तो समय बताएगा पर इस बयान को लेकर जिले की राजनीति के ठहरे हुए पानी में हलचल जरूर मच गई है। हालांकि इन सबसे इतर राधे का वह बयान है, जिसमें उसने अपने बागी जीवन का पश्चाताप किया और जाने अनजाने संदेश दिया कि आवेश में आकर अपराधी बनना कतई सही नहीं और परिवार से दूर रहना कितना कठिन है। 

दस्यु शिवकुमार उर्फ ददुआ के पाठा के बीहड़ों में सक्रिय होने के दौरान राधे की तूती बोलती थी। यह बात आज भी बीहड़ी गांवों के बाशिंदे बताते हैं। लगभग पंद्रह साल जेल में काटने के बाद जब राधे सोमवार को रगौली जेल से बाहर आया तो उसका रिश्तेदारों के अलावा अन्य तमाम लोगों ने स्वागत किया। उसको फूलमालाएं पहनाईं। राधे और उसके प्रधान पुत्र अरिमर्दन सिंह ने इस दौरान पत्रकारों से बात भी की। कभी दुर्दांत डकैत रहे राधे के चेहरे पर बाहर आने की खुशी तो टपक रही थी पर साथ ही कई बार बातों बातों में पश्चाताप की बात भी सामने आ रही थी। उसने कहा भी कि सामाजिक और पारिवारिक मजबूरियों की वजह से जंगल जाना पड़ा पर इसका पश्चाताप तो है ही। कई ऐसे काम भी उसके नाम हो गए, जो उसने किए नहीं। जंगल जंगल छिपते रहे और जो मिला, खाया। उसने अगर समाज की सेवा करने की बात कही तो इसके पीछे भी उसकी पश्चाताप वाली मनःस्थिति तो रही होगी। उसने कहा कि जितना संभव होगा गरीबों की मदद करूंगा। उसके तत्कालीन राजनीति में हस्तक्षेप के चाहे जितने मायने निकाले जाएं पर इतना तय है कि राधे का सामाजिक जीवन आगे भी उतना आसान नहीं होगा। उसकी डकैत जीवन में की गई वारदातें और इन वारदातों के शिकार लोगों की आहें शायद उसका जीवन भर पीछा न छोड़ें। राधे अपनी पश्चाताप की बात पर कितना कायम रहता है और समाजसेवा में क्या करता है, यह समय के गर्भ में है। उसने कहा भी क्या करूंगा और क्या होगा, यह भविष्य के गर्भ में है।  

हर पार्टी से संबंध थे हमारे 

राधे ने दावा किया कि बागी जीवन के दौरान उसके लगभग हर दल के लोगों से संबंध थे। दावा किया कि कल्याण सिंह की सरकार बचाने के लिए उन लोगों ने काफी प्रयास किया था। पर सफल नहीं हुए। बताया कि समय आऩे पर संबंधित लोगों के नाम का भी खुलासा करूंगा।  उधर, राधे के छूटने के बाद सपा जिलाध्यक्ष अनुज यादव और ददुआ के पुत्र पूर्व विधायक वीर सिंह यह कहकर कुछ भी कहने से बचे कि तब वह राजनीति में नहीं थे

 
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