बरेली: गो आधारित प्राकृतिक खेती से बढ़ेगी आय, सुधरेगी सेहत

Amrit Vichar Network
Published By Om Parkash chaubey
On

विकास भवन में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में कृषि प्रदर्शनी एवं एक दिवसीय कृषक सम्मेलन का हुआ आयोजन

बरेली, अमृत विचार : जैविक और गो आधारित प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के मकसद से गुरुवार को विकास भवन में डीएम शिवाकांत द्विवेदी की अध्यक्षता में कृषि प्रदर्शनी एवं कृषक सम्मेलन का आयोजन किया गया। प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों ने सम्मेलन में अपने अनुभाव साझा करने के साथ ही सुझाव दिए।

ये भी पढ़ें - बरेली: प्रिसिंपल एकादश ने जीता क्रिकेट मुकाबला

डीएम ने गो आधारित खेती करने वाले किसानों के क्षेत्र का भ्रमण कराकर उक्त पद्धति अपनाने को प्रेरित करने और उप कृषि निदेशक कार्यालय में हेल्पलाइन स्थापित करने के निर्देश दिए। इसके साथ ही किसानों को जैविक एवं गो आधारित प्राकृतिक खेती में अंतर को समझाते हुए इसके महत्व बताएं। प्रदर्शनी में उद्यान विभाग के अलावा जैविक उत्पाद तैयार करने वाले एफपीओ के स्टाल का निरीक्षण किया।

केवीके के वैज्ञानिक डा. वीपी सिंह ने प्राकृतिक खेती में उपयोग होने वाले जीवामृत, बीजामृत, घनजीवामृत, पंचगव्य, अग्नि अस्त्र, ब्रम्हास्त्र, दशपर्णी अर्क, सप्त धान्यांकुर आदि को बनाने की जानकारी दी।

डा. आरआर सागर ने बताया कि पलेवा के समय और खड़ी फसल में जीवामृत, घनजीवामृत, पंचगव्य; फसल पोषण के लिए सप्त धान्यांकुर; बीज उपचार के लिए बीजामृत एवं रोगों और कीटों से बचाने हेतु अग्नि अस्त्र, ब्रम्हास्त्र, नीमास्त्र, दशपर्णी अर्क का प्रयोग किया जाता है।

यह भी बताया कि मृदा में रहने वाले जीवाणु, जो मिट्टी से पोषक तत्वों को पौधों को उपलब्ध कराती है, उन्हीं जीवाणुओं को प्राकृतिक खेती द्वारा सशक्त किया जाता है और इन जीवाणुओं की संख्या प्राकृतिक खेती द्वारा बढ़ाई जा सकती है।

मुख्य विकास अधिकारी, उप कृषि निदेशक डा. दीदार सिंह, जिला कृषि अधिकारी धीरेंद्र सिंह चौधरी, डीएचओ पुनीत पाठक, पीपीओ अर्चना प्रकाश वर्मा, प्रखर सक्सेना, शिव कुमार, गिरीश चंद्र सिंह, प्रगतिशील किसान ओमप्रकाश, सर्वेश गंगवार, मनोज शर्मा, सत्यपाल महराज, दिनेश शर्मा, ओमप्रकाश कुमार, ने जीवामृत आदि का उपयोग करने के तरीके बताए।

जिला मिशन समिति की बैठक में किसानों ने रखे विचार: विकास भवन सभागार में जिला मिशन समिति की बैठक में कृषि वैज्ञानिक डा. वीपी सिंह, डा. वाणी यादव, कृषक दीपक शर्मा, सतपाल महाराज, मनोज शर्मा, राकेश गंगवार, सीताराम आदि गो आधारित प्राकृतिक खेती के लाभ कृषकों से साझा करते हुए इस पद्धति से खेती करने का अनुरोध किया।

प्रगतिशील किसान ओमप्रकाश कन्नौजिया ने बताया कि जीवामृत से बेहतर उत्पादन मिलता है। पैदावार उच्च गुणवत्ता की होने से बाजार में कीमत भी अच्छी मिलती है। कहा कि फसलों में लगने वाले रोगों के लिए वह रसायनिक कीटनाशक दवाओं का प्रयोग नहीं करते, उसकी जगह गोमूत्र से तैयार दवाओं का प्रयोग किया जाता है। ग्रेम के जैविक खेती करने वाले किसान सर्वेश ने गो आधारित खेती की लागत, भूमि स्वास्थ्य में जीवांश व कार्बन के स्तर, उत्पादन एवं गुणवत्ता की जानकारी दी।

ये भी पढ़ें - बरेली: जहां चल रहा था गर्भपात का क्रूर खेल... वहां सरकारी सिस्टम के भी तार

संबंधित समाचार