UP Budget 2023 : 102.81 करोड़ से सुधरेगी भूमि की 'सेहत' 

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Published By Virendra Pandey
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 प्राकृतिक खेती के लिए मिलेंगे 113.52 करोड़ रुपये

अमृत विचार, लखनऊ। अब राज्य सरकार भूमि के साथ मिट्टी की सेहत भी सुधारेगी। वर्ष 2023-24 में अभियान चलाकर ऊसर व बंजर भूमि सुधारकर उपजाऊ बनाई जाएगी। साथ ही प्राकृतिक खेती की जाएगी। इन योजनाओं पर सरकार करोड़ों रुपये खर्च करेगी।

बुधवार को जारी बजट में सरकार ने पंडित दीन दयाल उपाध्याय किसान समृद्धि योजना के लिए 102.81 करोड़ रुपये की व्यवस्था की है। यानी वर्ष 2023-24 में जिलों में ऊसर व बंजर भूमि सुधारी जाएगी। साथ ही किसानों प्रोत्साहित कर बीज, खाद आदि दिए जाएंगे। यह जरूरी भी है क्योंकि बढ़ती विकास की रफ्तार में हर वर्ष 50 हजार हेक्टेयर कृषि क्षेत्र कम हो रहा है और उसकी भरपाई के लिए ऊसर व बंजर भूमि सुधारक खेती करना एक मात्र विकल्प है।

दूसरी तरफ, प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने इस वर्ष नेशनल मिशन ऑन नेचरुल फार्मिंग योजना चलाई है। जिसकी जनवरी में शुरुआत हुई। इस योजना में 49 जिले शामिल हैं। जिसमें गौ-आधारित प्राकृतिक खेती की कवायद चल रही है। वहीं, नदियों से जुड़े 26 जिले सम्मलित हैं। जिसमें 1714 किसानों के क्लस्टर बनाए हैं। इसके लिए सरकार ने 113.52 करोड़ रुपये बजट प्रस्तावित किया है। 

इन योजनाओं को भी मिला बजट

- नेशलन मिशन फॉर सस्टेनेबल एग्रीक्चर : 631.93 करोड़
- निजी नलकूपों को रियायती दरों पर बिजली आपूर्ति के लिए : 1952 करोड़
- राष्ट्रीय कृषि विकास योजना : 984.54 करोड़
- नेशनल क्रॉप इन्श्योरेंस : 753.70 करोड़
- आत्मनिर्भर कृषक समन्वित : 100 करोड़
- कृषकों के डिजिटल डाटाबेस एग्री-स्टैक के लिए : 2 करोड़
- एग्रीकल्चर एक्सीलेटर फंड के लिए : 20 करोड़ 
- चार कृषि विश्वविद्यालयों में एग्रीटेक स्टार्टअप योजना के लिए : 20 करोड़ 

बागवानी की भी बढ़ेगी 'पैदावार'

सरकार ने बजट में उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण पर भी विशेष ध्यान दिया है। उप्र खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति 2002 के संचालन के लिए 100 करोड़ रुपये की व्यवस्था की है। जिसके तहत किसान सब्जी, फल व अनाज की पैदावार तक ही सीमित नहीं रहेंगे बल्कि योजनाओं का लाभ पाकर पैदावार के साथ खाद्य पदार्थों की भी पैदावार करेंगे। जो उत्तर प्रदेश में न के बराबर है और यहां के किसान पैदावार तक ही सीमित हैं। लेकिन, फूड प्रोसेसिंग से उन्हें अधिक दाम मिलेंगे और आय बढ़ेगी। खासकर बागवानी से जुड़े किसान यह मांग करते आ रहे हैं। साथ ही टिश्यू कल्चर केला की पौध उपलब्ध कराई जाएगी। इसमें 10 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।

उद्यान की इन योजनाओं को इतना बजट 

- प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन : 741.98 करोड़
- राष्ट्रीय औद्यानिक मिशन : 206.27 करोड़
- सहारनपुर में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फाॅर हनी की स्थापना के लिए 10 करोड़

कोई खुश तो कोई निराश

लखनऊ में चिमनी रहित उद्योग व खाद्य प्रसंस्करण इकाई लगनी चाहिए। जिसकी मांग करते आ रहे हैं। लेकिन, बजट में नहीं है। न ही कभी घोषणा होती है। खासकर उद्यान विभाग को कुछ नहीं मिलता है।

विजय कुमार सिंह, माल, लखनऊ

बजट किसानों के लिए बढ़िया है। लेकिन, फसल बीमा योजना के मानकों में सुधार जरूरी है। पिछले वर्ष बीमित धान की फसल कटाई के बाद खेतों पर बारिश से सड़ गई थी। लेकिन, क्लेम नहीं मिला था। तहसील व जिला मुख्यालय के चक्कर लगाते रहे गए थे। प्रीमियम भी दिया था। 

शिव प्रसाद सिंह, किसान, ग्राम रेवामऊ, बीकेटी, लखनऊ

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