बरेली: फैसले की ओर बढ़ी सुई पर लगा ब्रेक, बॉम्बे हाईकोर्ट में रबड़ फैक्ट्री केस की बेंच बदली
बॉम्बे हाईकोर्ट में करीब डेढ़ साल से सुनवाई कर रही बेंच के बदलने से राज्य सरकार के पैरोकारों को लगा झटका
बरेली, अमृत विचार। व्यावसायिक दृष्टिकोण से करीब 18 अरब रुपये कीमत वाली रबड़ फैक्ट्री की भूमि पर मालिकाना हक के मामले में जल्द फैसला आने की उम्मीद थी। बॉम्बे हाईकोर्ट की सिंगल बेंच में करीब डेढ़ साल से सुनवाई चल रही थी।
जज ने राज्य सरकार और अलकेमिस्ट एसेट्स रिकंस्ट्रक्शन लिमिटेड के पक्षों की सुनवाई पूरी करने के साथ जिरह भी करा दी थी। फैसला आने की तरफ घड़ी की सुई चलने लगी थी। होली के बाद उम्मीद थी, लेकिन होली से पहले ही केस में ऐसा मोड़ आया कि फैसले की तरफ बढ़ रही सुई रुक गई।
केस नई बेंच में ट्रांसफर हो गया। अचानक हुए बदलाव से राज्य सरकार के पैरोकारों को भी झटका लगा है।फैक्ट्री के जो 1432 कर्मचारी फैसला आने की राह देख रहे थे, उन्हें मायूसी हाथ लगी है। नई बेंच के जज पहले रबर फैक्ट्री केस की स्टडी करेंगे। इसके बाद सुनवाई कर फैसला सुनाएंगे। इससे माना जा रहा है कि मार्च माह में ताे फैसला आने की उम्मीद कम है।
सूत्रों ने बताया कि 8 मार्च को नई बेंच में केस की फाइलें पहुंच गईं। सुनवाई भी हुई थी। राज्य सरकार और विपक्षी पक्ष के वकील भी पहुंचे थे। दोनों पक्षों ने अपनी बात रखी लेकिन सुनवाई में कोई अहम बात न होने की बात सामने आई।
कोर्ट से केस में अगली तारीख के मिलने के संबंध में भी कुछ स्पष्ट नहीं किया है। केस से जुड़े एक प्रशासनिक अधिकारी ने बताया कि पूर्व सिंगल बेंच की सुनवाई पर ही नई बेंच में आगे सुनवाई शुरू हो, इसके लिए राज्य सरकार की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अनिल सी सिंह की ओर से बॉम्बे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई है।
रबड़ फैक्ट्री स्थापित करने के लिए तत्कालीन राज्य सरकार की ओर से 1960 के दशक में मुंबई के सेठ किलाचंद को फतेहगंज पश्चिमी में 1382.23 एकड़ जमीन उपलब्ध कराई गई थी। तत्कालीन सरकार ने 3.40 लाख रुपये लेकर जमीन लीज पर दी थी।
22 फरवरी को दोनों पक्षों की सुनवाई हो गई थी पूरी
22 फरवरी को बॉम्बे हाईकोर्ट में सिंगल बेंच ने अलकेमिस्ट एसेट्स रिकंस्ट्रक्शन लिमिटेड के पक्ष को सुना था। जबकि राज्य सरकार का पक्ष 2 फरवरी को एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने साक्ष्यों के साथ कोर्ट को बताया था। माना जा रहा था कि हाईकोर्ट जल्द अपना फैसला सुना सकता है, लेकिन बेंच बदलने से मामला आगे बढ़ गया। इससे पहले 15 व 16 फरवरी को तारीख लगी लेकिन 17 फरवरी को सुनवाई थी।
इसके बाद 22 फरवरी की तारीख मिली थी। बॉम्बे हाईकोर्ट में पिटीशन संख्या 999/2020 अलकेमिस्ट एसेट्स रिकंस्ट्रक्शन लिमिटेड बनाम मैसर्स सिंथेटिक एंड केमिकल्स लिमिटेड व अन्य में शासन की ओर से हस्तक्षेप आवेदन दाखिल है।
1432 कर्मचारियों के डेटा को पहले ही सही माना जा चुका है
रबड़ फैक्ट्री की यूनियन के महामंत्री अशोक मिश्रा ने बताया कि 16 जनवरी को ही ऑफिशियल लिक्विडेटर बॉम्बे हाईकोर्ट रबड़ फैक्ट्री के 1432 कर्मचारियों के डेटा को सही मान चुका है। उसकी रिपोर्ट सुनवाई करने वाली बेंच को पहले ही सौंपी जा चुकी है। अभी बेंच में बदलाव हुआ है, उससे फैसला जल्द आने में रुकावट नजर आ रही है।
बॉम्बे हाईकोर्ट की जिस बेंच में अभी तक सुनवाई चल रही थी, अब रबर फैक्ट्री का केस वहां से दूसरी बेंच में ट्रांसफर हो गया है, यह जानकारी मिली है। राज्य सरकार की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल केस की पैरवी कर रहे हैं---संतोष बहादुर सिंह, एडीएम वित्त एवं राजस्व।
