लखनऊ : सामान्य प्रसव को बढ़ावा देने राजधानी में जुटेंगी मिडवाइफ
तीन दिवसीय सम्मेलन में सिजेरियन डिलीवरी के दुष्परिणाम बतायेंगे विशेषज्ञ
लखनऊ, अमृत विचार। सामान्य प्रसव से होने वाले बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होती है। साथ ही ऐसे बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास भी बेहतर होता है। इसके अलावा सामान्य प्रसव से मां का स्वास्थ्य भी अच्छा होता है। इतना ही नहीं सिजेरियन डिलीवरी की अपेक्षा सामान्य प्रसव होने से मां का स्वास्थ्य भी अच्छा होता है। इसलिए सामान्य प्रसव को बढ़ावा मिलना चाहिये। यह जानकारी "मिडवाइफ को पुनः लाना" विषय पर आयोजित होने वाले सम्मेलन की चेयरपर्सन शबाना खातून ने गुरुवार को पत्रकारों को संबोधित करते हुये दी। उन्होंने बताया कि आधुनिक चिकित्सा के तहत मिडवाइफ की देखरेख में सामान्य प्रसव को बढ़ावा देने और आम लोगों में जागरुकता लाने के लिए राजधानी लखनऊ स्थित एसजीपीजीआई में मिडवाइफ को पुनः लाना" विषय पर तीन दिवसीय सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है।
शबाना खातून ने बताया कि इस तीन दिवसीय सम्मेलन में करीब 700 मिडवाइफ हिस्सा लेंगी। जो आधुनिक चिकित्सा के क्षेत्र में जच्चा और बच्चा के स्वास्थ्य को लेकर मानक और नई तकनीक पर चर्चा करेंगी। साथ ही अपने अनुभव साझा करेंगी। उन्होंने बताया कि इस सम्मेलन का आयोजन सोसाइटी ऑफ मिडवाइफ एवं नर्सिंग कालेज संजय गांधी स्नातकोत्तर चिकित्सा संस्थान के संयुक्त तत्वाधान में किया जायेगा । तीन दिवसीय यह सम्मेलन 17 मार्च से शुरू होगा।
इस अवसर पर सोसाइटी ऑफ मिडवाइफ की एडवाइजर ले.कर्नल (रिटायर्ड) मनोमनी वेंकेट ने कहा कि प्रसव प्रक्रिया एक महिला के जीवन का अत्यंत महत्वपूर्ण समय होता है जो कि महिला के मातृत्व जीवन को खुशहाल बनाता है। सही समय पर चिकित्सकीय परामर्श और स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिलने के कारण देश में हर वर्ष लाखों महिलाओं और नवजात शिशुओं की गर्भावस्था एवं प्रसव प्रक्रिया में मृत्यु हो जाती है। जिसे रोका जा सकता है। बस जरूरत है गर्भवस्था से पहले महिला और उसके परिवार को स्वास्थ्य संबंधी सही जानकारी उपलब्ध कराने के की।
सोसाइटी ऑफ मिडवाइफ की एडवाइजर बंदना दास ने कहा कि गर्भावस्था के दौरान नियमित व उचित चिकित्सीय परामर्श न मिलने के कारण कई बार महिलाओं को आकस्मिक परिस्थितियों में जटिल आपरेशन प्रक्रिया से भी गुजरना होता है। इसके अतिरिक्त महंगे आपरेशन लाखों परिवारो की आर्थिक स्थिति को भी प्रभावित करते हैं। आधुनिक जीवन शैली भी आपरेशन प्रक्रिया से प्रसव के चलन को बढ़ावा दे रही है। 12 से 24 घंटे की प्रसव पीड़ा असहनीय होती है, जिस कारण आपरेशन से होने वाले प्रसव पिछले दो दशक में बढ़ गया है, जो कि चिन्ताजनक विषय है। मौजूदा समय में करीब 70 फीसदी ऑपरेशन के जरिये प्रसव हो रहे हैं। जबकि यदि समय रहते ध्यान दिया जाये तो 80 फीसदी तक सामान्य प्रसव हो सकता है। जो मां और बेटे दोनों के लिए लाभदायक होगा।
सोसाइटी ऑफ मिडवाइफ की सेक्रेटरी जनरल रोहणी नगरे ने बताया कि इन सभी शल्य क्रिया से होने वाले प्रसव से भविष्य में होने वाले दुष्परिणामों को बचाने तथा सामान्य प्रसव को प्रोत्साहन देने में महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं एवं नर्सेज का बहुत महत्वपूर्ण योगदान होता है, क्योकि मिडवाइफ एवं नर्सेज आज देश के सबसे पिछड़े क्षेत्र से लेकर सबसे विकसित महानगरों में सामान्य प्रसव कराकर माँ और शिशु को उत्तम स्वास्थ्य प्रदान करने में सहयोग कर रही है।
एसजीपीजीआई के कॉलेज ऑफ नर्सिंग की एसोसिएट प्रोफेसर अंजू वर्मा ने बताया कि इस सम्मेलन में देश भर से नर्सेज एवं मिडवाइफ हिस्सा ले रही हैं। उन्होंने बताया कि
सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक होंगे। इसके अलावा तीन दिवसीय सम्मेलन में राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय स्तर के शोध पत्र प्रस्तुत किये जायेगे। सम्मेलन में मिडवाइफ के उत्कृष्ट अभ्यास को भी प्रस्तुत किया जायेगा। जिससे प्रतिभागी नई पद्धतियों के बारे में जान सकेंगे। सम्मेलन में देश के विभिन राज्यों से मिडवाइफ एजूकेटर और मिडवाइफ प्रैक्टीशनर अपने कौशल के बारे मे बतायेगे और प्रदर्शन करेंगे। सम्मेलन में पहले दिन "सामान्य प्रसव अभियान" का भी शुभारम्भ होगा । इसका मुख्य उद्देश्य उत्तर प्रदेश राज्य की किशोरियो को सामान्य प्रसव प्रक्रिया के बारे मे आवश्यक जानकारी प्रदान कर उन्हें जागरुक करना है।
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