केजीएमयू : चुंबकीय मैलेट तकनीक से दांत निकालना हुआ सुरक्षित, तत्काल प्रत्यारोपण में भी है सहायक

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Published By Virendra Pandey
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लखनऊ, अमृत विचार। दांत निकालते समय कई बार जिन हड्डीयों के सहारे दांत स्थिर होते हैं उन हड्डीयों को गंभीर नुकसान पहुंचता है। ऐसे में प्रत्यारोपण कर कृत्रिम दांत लगाने में कई महीनों का समय लगता है, लेकिन चुंबकीय मैलेट तत्काल प्रत्यारोपण सर्जरी के मामलों में दांतों को हटाने और लगाने में मदद करता है।

यह जानकारी यूपी डेंटल काउंसिल के सदस्य और केजीएमयू के प्रोस्थोडॉन्टिक्स विभाग के प्रो. कमलेश्वर सिंह ने शनिवार को भारतीय प्रोस्थोडॉन्टिक्स सम्मेलन को संबोधित करते हुये दी। यह सम्मेलन केजीएमयू में आयोजित हो रहा है। जिसका उद्घाटन केजीएमयू के कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल डॉ बिपिन पुरी ने किया।

प्रो. कमलेश्वर सिंह ने बताया कि चुंबकीय मैलेट तकनीक से दांत निकालने के दौरान हड्डीयों को कम या फिर न के बराबर नुकसान होता है। ऐसे में दांत के प्रत्यारोपण में एक से दो दिन का समय लगता है और खर्च भी कम आता है। जबकि प्रत्यारोपण के लिए पारंपरिक तकनीक दर्दनाक और समय लेने वाली थी, उसमें चार से 6 महीने तक का वक्त लग जाया करता था। इसके अलावा उन्होंने बताया कि डिजिटल स्कैनर प्रोस्थोडॉन्टिक्स के मामलों के लिए तेजी से पुनर्वास प्रदान करेगा। यह 30 मिनट के समय में Crown और Bridges का निर्माण करेगा। Crown के निर्माण की पारंपरिक तकनीक के निर्माण में हफ्तों का समय लगता है। स्कैनर मरीज का समय और लागत दोनों बचाता है।

इस अवसर पर आयोजन सचिव डॉ. पूरन चंद ने बायोनिक आंखों के रूप में मैक्सिलोफेशियल प्रोस्थेसिस में हालिया प्रगति के बारे में जानकारी मुहैया कराई। हाल की सामग्रियां उन सामग्रियों पर ध्यान केंद्रित करती हैं जो प्राकृतिक त्वचा को अधिक दिखती हैं। उन्होंने टर्नोवा में हल्दी की भूमिका भी बताई जो लार में सोख लेती है और प्रति दिन 50 मिलीग्राम हल्दी के बराबर प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करती है।

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