अयोध्या : निकाय चुनाव में भी गूंज सकता है पुरानी पेंशन बहाली का मुद्दा

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Published By Virendra Pandey
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 2005 से बंद है पुरानी पेंशन, एनपीएस का हो रहा विरोध

जिले में दस हजार कर्मचारी और शिक्षक हैं एनपीएस दायरे में

अयोध्या, अमृत विचार । 1 अप्रैल 2004 से प्रदेश में बंद पुरानी पेंशन योजना बहाली के लिए शिक्षकों व कर्मचारियों का संघर्ष लगातार बढ़ता जा रहा है। अब जब नगरीय निकाय चुनाव का डंका बज चुका है ऐसे में शिक्षक व कर्मचारी इसे लेकर अंदरखाने लामबंद हो रहे हैं। जिले में करीब दस हजार शिक्षक एनपीएस के दायरे में हैं, जिनके परिवार के लोग भी निकाय चुनाव में मतदाता हैं। 
 
बता दें कि पिछले दिनों राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब व हिमाचल प्रदेश में पुरानी पेंशन बहाल होने से जहां शिक्षकों व कर्मचारियों के सपने पूरे हो गए। वहीं प्रदेश में कार्यरत शिक्षकों कर्मचारियों के अरमान पुरानी पेंशन बहाल ना होने से अधूरे हैं। शिक्षक व कर्मचारी चाहते हैं कि सरकार एनपीएस को बंद कर पुरानी पेंशन बहाल करे, जिससे लंबे समय तक सेवा दे चुके शिक्षक और कर्मचारी बुढ़ापे को सुरक्षित समझें। 

पिछले कई चुनावों से शिक्षकों कर्मचारियों द्वारा पुरानी पेंशन बहाली के लिए लगातार दबाव बनाया जा रहा है और उसका काफी असर भी दिख रहा है। अटेवा द्वारा पूरे देश में पुरानी पेंशन बहाली के लिए चलाए जा रहे आंदोलन के फलस्वरूप आधा दर्जन राज्य राजस्थान, पंजाब, झारखंड, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश में पेंशन बहाल हो चुकी है। उत्तर प्रदेश में भी चुनाव से पूर्व अटेवा द्वारा पुरानी पेंशन बहाली के लिए लखनऊ में आंदोलन किया जा चुका है। अब नगरीय निकाय चुनाव में इसे लेकर तैयारी चल रही है।

अप्रैल 2004 में बंद हुई थी पुरानी पेंशन 

एक अप्रैल 2004 को पूरे देश में एक साथ सेना को छोड़कर शेष सभी की पुरानी पेंशन बंद कर दी गई थी, जिसमें शिक्षक कर्मचारी अधिकारी व अर्धसैनिक बल शामिल है, उस समय पर कड़ा विरोध ना होने के कारण 2004 में केंद्र सरकार के बाद राज्य सरकारों ने प्रदेश में पुरानी पेंशन बंद कर दिया, लेकिन 2004 के बाद से बड़े पैमाने पर हो रही भर्तियों के बाद अब अधिकतर शिक्षक व कर्मचारी पेंशन विहीन या एमपीएस के दायरे में आते हैं। एनपीएस में पेंशन निश्चित ना होने के कारण शिक्षक और कर्मचारी लगातार इसका विरोध कर रहे है और इनकी लगातार बढ़ रही है। 

पुरानी पेंशन मुद्दे पर शिक्षकों की राय

बुढ़ापे का एकमात्र सहारा

मवई ब्लॉक में कार्यरत अटेवा की पूर्व संयोजिका पूजा सिंह का कहना है कि पुरानी पेंशन शिक्षकों कर्मचारियों की बुढ़ापे का एकमात्र सहारा होती है। प्रदेश सरकार को जल्द पुरानी पेंशन बहाली पर निर्णय लेना चाहिए।

जीवन से जुड़ा मुद्दा है

पूर्व माध्यमिक विद्यालय पौसरा की शिक्षिका नीतू सिंह का कहना है कि शिक्षक व कर्मचारी एक लंबे समय तक विद्यालयों में मेहनत करते हैं और बुढ़ापे में पेंशन के सहारे ही जीवन यापन करते हैं। पेंशन बहाली जीवन से जुड़ा मुद्दा है। 

बहाली जल्द होनी चाहिए

पूर्व माध्यमिक विद्यालय पारा ब्रह्मनान में कार्यरत शिक्षिका वंदना तिवारी का कहना है कि पुरानी पेंशन के बगैर रिटायरमेंट के बाद का समय काटना कठिन होगा। इसलिए एनपीएस में सुधार की बजाय पुरानी पेंशन जल्द बहाल होनी चाहिए। 

जीवन बिताना कठिन होगा

मसौधा ब्लॉक के प्रा वि दसौली में कार्यरत शिक्षिका इंदु मौर्या का कहना है कि बगैर पेंशन जीवन बिताना कठिन होगा। इसलिए सरकार को पुरानी पेंशन जल्द बहाल करना चाहिए।

केंद्र सरकार की गठित कमेटी से संतुष्ट नहीं है शिक्षक

पिछले दिनों केंद्र सरकार द्वारा नवीन पेंशन योजना की समीक्षा के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा एक कमेटी गठित की गई है लेकिन कमेटी गठित होने से शिक्षक व कर्मचारी संतुष्ट नहीं है। शिक्षकों का कहना है कि गठित होने से शिक्षकों व कर्मचारियों की समस्याएं दूर नहीं होगी क्योंकि कमेटी समीक्षा करके अपनी रिपोर्ट कब तक देगी इसका कोई पता नहीं है और रिपोर्ट में एनपीएस मुद्दे पर सुधार ही आएगा तय नहीं है। आगामी लोकसभा चुनाव में पुरानी पेंशन बड़ा मुद्दा बनेगी।

कोट - 
कई राज्यों में पुरानी पेंशन बहाल हो चुकी है और केंद्र व यूपी में एक ही सरकार चल रही है इसलिए केंद्र सरकार/राज्य सरकार को पेंशन मुद्दे पर एनपीएस में सुधार के बजाय पूरे देश में एक साथ पुरानी पेंशन योजना बहाल कर देना चाहिए।
- अभिनव सिंह राजपूत, आईटी सेल प्रभारी, अटेवा 

कोट - 
पुरानी पेंशन बहाली के लिए अटेवा लगातार प्रदर्शन कर रहा है। पुरानी पेंशन बहाल करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार पर भी दबाव है। इस दबाव को हर तरीके से बरकरार रखा जायेगा।
- विजय प्रताप सिंह , जिलाध्यक्ष, अटेवा

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