बरेली: शहर भर की मस्जिदों में अदा की गई अलविदा की नमाज

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Published By Vikas Babu
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बरेली, अमृत विचार। आज रमज़ान के आखिरी जुमा-तुल-विदा की नमाज़ शहर भर की मस्जिदों में अदा की गई। सुबह से ही मुस्लिम बस्तियों में नमाज़ को लेकर उत्साह रहा। बड़ों के साथ बच्चों और बुजुर्गों ने भी रोज़ा रखकर अल्लाह की इबादत में अपना दिन गुजारा। सभी प्रमुख मस्जिदों, दरगाहों व खानकाहों में नमाज़ियों की भीड़ उमड़ी। 

सभी मस्जिदों में ख़ुत्बा से पहले इमामों की तक़रीर हुई। मुख्य नमाज़ किला की जामा मस्जिद में हज़ारों नमाज़ियों ने नमाज़ अदा की। यहाँ जगह कम पड़ने पर छत के अलावा आसपास के घरों में नमाज़ की व्यवस्था की गई। यहाँ ठीक डेढ़ बजे (1.30) शहर इमाम मुफ़्ती ख़ुर्शीद आलम ने पहले ख़ुत्बा पढ़ा, इसके बाद नमाज़ अदा कराई। मुल्क-और-मज़हब की खुशहाली की दुआ की। यहाँ की व्यवस्था जामा मस्जिद कमेटी के डॉक्टर नफीस खान, हाजी अजमेरी, असरार अहमद, अख़लाक़ अहमद, सय्यद जाहिद और डॉक्टर क़दीर आदि ने संभाली।

शहर में सबसे आखिर दरगाह आला हज़रत पर साढ़े तीन बजे(3.30) कारी रिज़वान रज़ा ने नमाज़ अदा कराई। यहाँ दरगाह प्रमुख हज़रत मौलाना सुब्हानी मियां, सज्जादानशीन मुफ़्ती अहसन मियां, हज़रत मन्नानी मियां, आईएमसी प्रमुख मौलाना तौक़ीर रज़ा खान, मौलाना तौसीफ रज़ा खान, कारी तस्लीम रज़ा व आला हज़रत परिवार के सभी लोगो ने नमाज़ अदा की। 

वहीं शाम को मंज़री उलेमा इत्तेहाद की ओर से मदरसा मंज़र-ए--इस्लाम में रोज़ा इफ़्तार का आयोजन किया गया। यहाँ नमाज़ के बाद मुफ़्ती सलीम नूरी बरेलवी ने सभी मुसलमानों  से अपील करते हुए कहा कि जिन मालदार मुसलमानों पर ज़कात फ़र्ज़ और सदक़ा-ए-फितर वाजिब है और उन लोगों ने अब तक अदा नही किया है, वो जल्द से जल्द अदा कर दें। आगे कहा कि जो शख्स रोज़ा न रखे उस पर भी सदक़ा ए फितर वाजिब है। इसके लिए रोज़ा रखना शर्त नही। अगर ईद का दिन गुजर गया और सदक़ा ए फितर अदा न किया तब भी सदक़ा ए फितर माफ नही हुआ, बल्कि उम्र में जब भी अदा करें तो अदा हो जाएगा।

इसके अलावा ख़ानक़ाह-ए-नियाज़िया,दरगाह शाहदाना वली, दरगाह शाह शराफत अली मियां, दरगाह वली मियां, दरगाह बशीर मियां, ख़ानक़ाह-ए-वामिकिया, मस्जिद नोमहला, नूरानी मस्जिद, सुनहरी मस्जिद, पीराशाह मस्जिद, साबरी मस्जिद, हबीबिया मस्जिद, छः मीनारा मस्जिद, बीबी जी मस्जिद,मुफ़्ती आज़म हिन्द मस्जिद, मोती मस्जिद, हरी मस्जिद, इमली वाली मस्जिद, कचहरी वाली मस्जिद और मिर्जाई मस्जिद आदि में बड़ी तादात में नमाज़ियों ने नमाज़ अदा कर रब की बारगाह में दुआ की। 

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