बरेली: वकील बनना चाहते हैं पप्पू भरतौल, जानिए...क्यों लिया ये फैसला?
घड़े में बंद मिली मासूम सीता से बिछड़ने के बाद लिया था पढ़ाई का फैसला
बरेली, अमृत विचार। पूर्व विधायक राजेश मिश्रा पप्पू भरतौल के 55 वर्ष की उम्र में राजनीति के साथ पढ़ाई शुरू करने के बाद उनका हौसला तो चर्चा में है ही, लेकिन इसके पीछे एक मासूम से बिछड़ने की मार्मिक कहानी भी है। इस मासूम को उसे जन्म देने वालों ने ही घड़े में बंद कर एक खेत में गाड़ दिया था, पप्पू भरतौल उसे अपनी बेटी बनाकर घर ले आए थे लेकिन एक कानूनी पराजय ने उसे उनसे दूर कर दिया। इसी के बाद उन्होंने खुद वकील बनने का फैसला लिया।
पप्पू भरतौल ने घड़े में बंद मिली मासूम की जिंदगी बचाने में जीजान लगा दी थी। लंबे इलाज के बाद जब वह स्वस्थ हुई थी तो उसे घर ले आए थे और उसे सीता नाम दिया था। जब तक वह उनके घर में रही, पूर्व विधायक उसी में रमे रहे और उसे पढ़ालिखाकर अफसर बनाने का सपना देखने लगे लेकिन एक सरकारी आदेश के बाद सीता को एक ईसाई समुदाय के दंपती को गोद दे दिया गया। इससे बुरी तरह आहत हुए पूर्व विधायक ने उच्च न्यायालय तक का दरवाजा खटखटाया लेकिन सीता को गोद लेने का मामला कानूनी दांवपेच में इस कदर उलझा कि वह उन्हें नहीं मिल पाई।
बकौल पप्पू भरतौल, इसी के बाद उन्होंने आगे पढ़ने और खुद वकील बनने का फैसला लिया। हाईस्कूल करने के बाद पढ़ाई छोड़े हुए लंबा समय हो गया था, फिर भी उन्होंने इंटरमीडिएट करने के लिए व्यक्तिगत परीक्षा फार्म भर दिया और पढ़ाई भी शुरू कर दी। हालांकि उन्होंने बताया कि अभी तय नहीं है कि वकालत किस संस्थान से करेंगे। वकालत करने के बाद भी वह पहले की तरह जनसेवा करते रहेंगे। उन्होंने कहा कि पढ़ाई करने की कोई उम्र नहीं होती।
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