बरेली: कामयाब लोगों से कौन पूछता है कितने नंबर आए थे 10वीं-12वीं में- कमिश्नर सौम्या अग्रवाल
बरेली, अमृत विचार। कमिश्नर सौम्या अग्रवाल कहती हैं कि जीवन में कुछ भी अंतिम नहीं होता। सफलता के लिए हर दिन, हर पल प्रयास करने होते हैं और अगले लक्ष्य के लिए लगन, मेहनत और पूरे मनोयोग से जुटना होता है। कुछ अच्छा नहीं हुआ तो उसे भूलकर भविष्य को बेहतर बनाने की कोशिश करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मानव स्वभाव है कि असफलता मिलने पर कोई भी परेशान हो जाता है, लेकिन सच यह है कि असफलता कई तरह के अनुभव देती है और यह भी सिखाती है कि आपसे कहां गलतियां हुई हैं और क्या सुधार करना है। बस जरूरत होती है जीवन में सकारात्मक रहने की।
कमिश्नर ने बताया कि 1998 में उन्हें हाईस्कूल में 91.4 और 2000 में इंटरमीडिएट में 90 फीसदी अंक मिले थे। दोनों परीक्षा में पास होने के बाद इंजीनियरिंग करके प्राइवेट जॉब की। इसी बीच आईएएस की तैयारी की और पहले ही प्रयास में 2008 में वह आईएएस बन गईं। आईएएस की तैयारी के लिए एक साल उन्होंने कड़ी मेहनत की। उनकी दो और बहनें प्राइवेट जॉब में अच्छी पोजीशन पर हैं। उन्होंने कहा कि युवाओं को अच्छे नंबर न आने या फेल हो जाने पर निराश होने की बिल्कुल जरूरत नहीं है। वह अनुभव के आधार पर कह सकती हैं कि कामयाब होने के बाद कोई नहीं पूछता कि हाईस्कूल और इंटर में कितने नंबर आए थे। हां, अच्छे नंबर इसलिए जरूरी हैं क्योंकि शुरुआत अच्छी होती है तो आगे सब बढ़िया होता है। बोलीं, तमाम उदाहरण सामने हैं कि अच्छे नंबर न लाने और फेल होने वाले भी बड़े अफसर बने हैं।
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