फासीवादी, साम्प्रदायिक व विभाजनकारी भाजपा को हराकर कर्नाटक ने उम्मीद की किरण दिखाई: महबूबा मुफ्ती 

फासीवादी, साम्प्रदायिक व विभाजनकारी भाजपा को हराकर कर्नाटक ने उम्मीद की किरण दिखाई: महबूबा मुफ्ती 

बेंगलुरु। जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने रविवार को कहा कि कर्नाटक के लोगों ने हाल ही में संपन्न राज्य विधानसभा चुनावों में ‘फासीवादी, सांप्रदायिक और विभाजनकारी’ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को हराकर पूरे देश को उम्मीद की किरण दिखाई है। मुफ्ती ने इसके लिए कर्नाटक के लोगों की सराहना भी की। हालांकि, उन्होंने दिल्ली के हालिया घटनाक्रम के प्रति लोगों को आगाह करते हुए कहा कि यह सभी के लिए एक खतरे की घंटी है, क्योंकि ऐसा देश में कहीं भी हो सकता है। 

मुफ्ती 20 मई को राष्ट्रपति द्वारा पारित एक अध्यादेश का जिक्र कर रहीं थी, जिसमें दिल्ली के उपराज्यपाल को दिल्ली में (केंद्र सरकार द्वारा नामित) सिविल सेवकों के खिलाफ स्थानांतरण, तैनाती और अनुशासनात्मक कार्यवाही की निगरानी के अधिकार दिए गए हैं। गौरतलब है कि अध्यादेश जारी किए जाने से महज एक सप्ताह पहले ही उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी में पुलिस, कानून-व्यवस्था और भूमि को छोड़कर अन्य सभी सेवाओं का नियंत्रण दिल्ली सरकार को सौंप दिया था। इस अध्यादेश ने उच्चतम न्यायालय के फैसले को निरस्त कर दिया है। 

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख मुफ्ती ने बेंगलुरु में पत्रकारों से कहा, ‘‘दिल्ली में जो कुछ भी हुआ वह सभी के लिए एक खतरे की घंटी है। जम्मू-कश्मीर में जो कुछ हुआ, वह पूरे देश में होने जा रहा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा कोई विपक्ष नहीं चाहती। दिल्ली सरकार को शक्तिहीन कर दिया गया है। यह सभी के साथ होने वाला है।’’ 

मुफ्ती ने कहा कि वह तब तक विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी जब तक कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 बहाल नहीं किया जाता। हालांकि उनकी पार्टी पीडीपी चुनाव लड़ेगी। मुफ्ती ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘कर्नाटक ने पूरे देश को उम्मीद की किरण दिखाई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा का हर नेता कर्नाटक चुनाव में धर्म का सहारा ले रहा था, लेकिन फिर भी लोगों ने उन्हें सत्ता से बाहर का रास्त दिखा दिया।’’ उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव की नींव रखी। 

मुफ्ती ने कहा, ‘‘पिछले पांच साल से नफरत तथा सांप्रदायिक राजनीति का प्रकोप रहा है। यहां भी कर्नाटक में ‘बांटने’ की राजनीति की गई। अब सिद्धरमैया और डी. के. शिवकुमार इन घावों पर मरहम लगाएंगे।’’ मुफ्ती ने कहा कि जम्मू-कश्मीर ‘विभाजनकारी और सांप्रदायिक राजनीति’ झेलने वाला पहला राज्य था, लेकिन कर्नाटक के लोगों ने भाजपा को सत्ता से निकालने के लिए वोट दिया। अपने राज्य की बात करते हुए मुफ्ती ने कहा कि जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा दिया गया, जो संघवाद का सबसे बेहतरीन उदाहरण है, लेकिन ‘‘भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करके राज्य को बांट दिया गया और उसे अक्षम बना दिया गया।’’ 

जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘आज वहां सबसे अधिक सेना है और सुरक्षा के नाम पर हर रोज उत्पीड़न तथा छापेमारी की जा रही है।’’ उन्होंने कहा कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में सिद्धरमैया के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और अन्य लोगों से भी उनके राज्य के बारे में बात की। पीडीपी की प्रमुख ने कहा, ‘‘मैं चाहती हूं कि जम्मू-कश्मीर में जो हुआ, उस पर लोग ध्यान दें। हम सभी के पासपोर्ट जब्त कर लिये गए हैं। अगर यह एक ऐसे परिवार के साथ हो सकता है, जिसमें मैं एक पूर्व मुख्यमंत्री हूं और मेरी मां एक पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री दिवंगत मुफ्ती मोहम्मद सैयद की पत्नी हैं.... तो यह किसी के साथ भी हो सकता है।’’ 

मुफ्ती ने जम्मू-कश्मीर को एक खुली जेल बताते हुए आरोप लगाया कि चीन अब उसके मामलों में हस्तक्षेप कर रहा है, जबकि पहले केवल पाकिस्तान ऐसा करता था। उन्होंने कहा, ‘‘यह भाजपा के अनुच्छेद-370 को निरस्त करने का नतीजा है।’’ सिद्धरमैया के शपथ ग्रहण समारोह में भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के के. चंद्रशेखर राव, युवजन श्रमिक रायथू कांग्रेस पार्टी के वाईएस जगन मोहन रेड्डी, आम आदमी पार्टी (आप) के अरविंद केजरीवाल और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के पिनराई विजयन सहित कई विपक्षी दलों के मुख्यमंत्रियों को आमंत्रित नहीं करने के सवाल पर मुफ्ती ने कहा कि कांग्रेस को और कुर्बानी देनी होगी, ‘‘अन्यथा अन्य विकल्प भी हैं।’’ 

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