शांति बहाली के लिए

शांति बहाली के लिए

म्यांमार की सीमा से लगे उत्तर पूर्वी राज्य मणिपुर में काफी समय से तनाव और संघर्ष की स्थिति है। मणिपुर हिंसा में 98 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। राज्य में ऐसे विवाद ने अशांति का माहौल बना दिया जो दूरदर्शिता के साथ संभाला जा सकता था।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को मणिपुर के लोगों से राष्ट्रीय राजमार्ग-दो से नाकेबंदी हटाने की अपील की ताकि राज्य में भोजन, दवा और ईंधन जैसी बुनियादी और जरूरी चीजें पहुंच सकें। उधर केंद्र सरकार ने मणिपुर जातीय हिंसा की जांच के लिए गुवाहाटी उच्च न्यायालय के पूर्व चीफ जस्टिस अजय लांबा की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया है। इससे पहले इंफाल पश्चिम जिले के दो गांवों में शुक्रवार की रात बम और हथियारों से लैस संदिग्ध कुकी उग्रवादियों के हमले में 15 लोग घायल हो गए। मैतेई समुदाय द्वारा अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग के विरोध में 3 मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद मणिपुर में जातीय हिंसा भड़क उठी थी। हिंसा के चलते कुल 37,450 लोग विस्थापित हुए हैं। 
मणिपुर में मैतेई, नागा और कुकी, ये तीन प्रमुख समुदाय हैं। इनमें नागा और कुकी आदिवासी हैं, जिन्हें अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिला हुआ है, इन दोनों समुदायों के ज्यादातर लोग ईसाई धर्म को मानने वाले हैं। जबकि मैतई हिंदुओं की आबादी वाला समुदाय है, जो अब तक गैरआदिवासी माना जाता था, लेकिन मणिपुर हाईकोर्ट ने मैतई समुदाय को भी अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने का आदेश दिया। इसके बाद से यहां असंतोष की चिंगारी सुलगने लगी थी। अमित शाह ने मणिपुर दौरे में कहा कि मणिपुर हाईकोर्ट के जल्दबाजी भरे फैसले की वजह से यहां हिंसा हुई है। मणिपुर में यह अनावश्यक टकराव टाला जा सकता था, बशर्ते ऐसा कोई भी कदम उठाने से पहले सभी संबंधित पक्षों को विश्वास में लेकर चर्चा की जाती। राहत की बात है कि राज्य में पिछले 24 घंटे में कोई हिंसा की खबर सामने नहीं आई है, लोग हाथियार वापस कर रहें हैं। सीआरपीएफ के पूर्व महानिदेशक (डीजी) सिंह ने कहा,आम जनता, नागरिक संगठन और प्रमुख लोग प्रशासन के साथ मिलकर काम कर रहे हैं तथा शांति बहाल करने में मदद दे रहे हैं। समझना होगा कि सभी मिलकर ही राज्य में सामान्य स्थिति बहाल कर सकते हैं। किसी भी पक्ष की ओर से हिंसा परिस्थितियों को ज्यादा मुश्किल बनाएगी और इसका खामियाजा सभी पक्षों को भुगतना पड़ेगा।