बरेली: ज्ञान की व्यापकता और प्रमाणिकता के लिए आज भी युवा पीढ़ी ले रही किताबों का सहारा 

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Published By Vishal Singh
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बरेली, अमृत विचार। भले ही आधुनिक युग में डिजिटल शिक्षा मोबाइल के जरिए हर स्टूडेंट की जेब तक पहुंच गयी हो लेकिन किताब और किताबों को पढ़ने का क्रेज आज भी युवाओं में भरपूर है। इंटरनेट पर मिलने वाली देश दुनियां की जानकारी और नेट पर मिलने वाले ज्ञान की व्यापकता और प्रमाणिकता जानने के लिए नयी पीढ़ी के युवा आज भी किताबों का ही सहारा लेते हैं। पुस्तकालयों में आज भी युवा ज्ञान वर्धन के लिए जाना जरूरी समझते हैं। आनलाइन युग में भी किताबों की उतनी ही अहमियत है जितनी संचार क्रांति के उदय के समय हुआ करती थी। 

आज 19 जून को भारत में पठन पाठन दिवस मनाया जा रहा है। पठन पाठन दिवस पुस्तकालय क्रांति के जनक के सम्मान के तौर पर मनाया जाता है। 19 जून को ही भारत में पुस्तकालय आंदोलन के जनक पीएन पैनिकर की पुण्यतिथि होती है। पठन पाठन दिवस के मौके पर हमने बरेली में पुस्तकालय जाने वाले स्टूडेंट्स से बात की और किताबों को लेकर उनके विचार जाने। तो आईए जानते हैं पुस्तकालय आने वाले स्टूडेंट ने क्या कहा। 

पठन पाठन दिवस के मौके पर भारत सरकार ने किताबों के सबसे बड़े प्रकाशक संस्थान गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार प्रदान किया है। 100 साल पुराने प्रकाशन संस्थान गीता प्रेस को सर्वाधिक प्राचीन ग्रंथ, धार्मिक पुस्तकें और साहित्य प्रकाशित करने का गौरव प्राप्त है। बरेली में भी गीता प्रेस की प्रकाशित प्राचीन पुस्तकें आसानी से मिल जाती हैं। बरेली के बड़े बाजार में स्थित शंकर पुस्तक भंडार पर गीता प्रेस के दर्शन साहित्य, गीता पुराण, निषद, उपनिषद और धर्म आध्यात्म संबंधी सभी पुस्तक मिल जाती हैं। बरेली ही नहीं बल्कि रूहेलखंड और उत्तराखंड के कुमाऊं तक के लोग शंकर पुस्तक भंडार से पुस्तकों का संग्रह लेने यहां पहुंचते हैं।

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