बहुआयामी संबंध
भारत और अमेरिका के बीच बढ़ती साझेदारी 21वीं सदी की भू-राजनीति और तकनीक के वैश्विक परिदृश्य को बदल सकती है। भारत और अमेरिका के संबंध बहुआयामी हैं और दोनों देश विभिन्न क्षेत्रों में मिलकर काम कर रहे हैं। मंगलवार को अमेरिका की यात्रा पर रवाना होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्वास जताया कि उनकी अमेरिका यात्रा से दोनों देशों के लोकतांत्रिक, विविधतापूर्ण और स्वतंत्रता जैसे साझा मूल्यों पर आधारित संबंधों को और मजबूती मिलेगी।
वास्तव में अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी, शिक्षा, स्वास्थ्य, रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में भी दोनों देशों के बीच अच्छा सहयोग है। प्रधानमंत्री मोदी की यह बात महत्वपूर्ण है कि विश्व में भारत की स्थिति और कद को देखते हुए उसकी भूमिका व्यापक तथा बड़ी होनी चाहिए। आज के युग में दुनिया परस्पर जुड़ी हुई है और एक दूसरे पर पहले से कहीं अधिक निर्भर है।
मजबूत आपूर्ति व्यवस्था बनाने के लिए आपूर्ति श्रृंखला में और विविधता लाए जाने की जरूरत है। उन्होंने चीन के साथ सामान्य द्विपक्षीय संबंधों के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता को आवश्यक बताया। उन्होंने कहा भारत अपनी संप्रभुता और सम्मान की रक्षा के लिए पूरी तरह तैयार तथा प्रतिबद्ध है।
सभी देशों को अंतर्राष्ट्रीय कानूनों और अन्य देशों की संप्रभुता का सम्मान करना चाहिए। ज्ञात हो कि पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में 15 जून, 2020 को भारत और चीनी सेनाओं के बीच संघर्ष हो गया था। भारत का लगातार कहना रहा है कि जब तक सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति नहीं होगी, तब तक चीन के साथ उसके संबंध सामान्य नहीं हो सकते।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 8 जून को कहा था कि पूर्वी लद्दाख में सीमा पर स्थिति सामान्य नहीं होने तक चीन के साथ संबंधों के सामान्य होने की कोई भी उम्मीद करना निराधार है। इस यात्रा को लेकर चीन को चिंता है कि अमेरिका चीन के खिलाफ भारत को इस्तेमाल करने के प्रयास में है। चीन के पूर्व विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि अमेरिका की यह भू-राजनीतिक गणना विफल होगी, क्योंकि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में चीन की स्थिति को भारत या अन्य अर्थव्यवस्थाओं द्वारा प्रतिस्थापित नहीं किया जा सकता है।
जानकारों के मुताबिक प्रधानमंत्री की यात्रा भारत-अमेरिका साझेदारी की गहराई एवं विविधता को समृद्ध करने का एक अवसर होगी और दोनों देश मिलकर साझा वैश्विक चुनौतियों का अधिक मजबूती से सामना कर सकते हैं। प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के बीच होने वाली मुलाकात में बड़े लक्ष्य तय करने की उम्मीद की जा सकती है।
