आतंकवाद का समर्थन
आतंकवाद को लेकर चीन का दोहरा चेहरा एक बार से फिर से दुनिया के सामने आया है। चीन ने पाकिस्तानी आतंकी साजिद मीर को वैश्विक आतंकवादी की सूची में शामिल करने के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र में वीटो कर दिया और प्रस्ताव को रोक दिया। यह आतंकवाद के अभिशाप से लड़ने के लिए वास्तविक राजनीतिक इच्छा शक्ति की कमी को दर्शाता है।
अमेरिका ने मीर को काली सूची मं। डालने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव रखा था और भारत ने इसका समर्थन किया था। अमेरिका ने पहले ही साजिद मीर के सिर पर 50 लाख डॉलर का इनाम घोषित कर रखा है। पिछले साल भी साजिद मीर को ग्लोबल आतंकवादी घोषित करने के लिए भारत ने कई सबूत दिए थे।
इस बार भी संयुक्त राष्ट्र की बैठक में भारत ने साजिद का मुंबई में 26/11 के हमले के समय का मीर का टेप सामने रखा, लेकिन चीन ने पाकिस्तानी आतंकवादी के प्रति हमदर्दी दिखा दी। भारत ने पाकिस्तान में रहने वाले लश्कर-ए-तैयबा नेता साजिद मीर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा आतंकवादी घोषित किए जाने में रोड़ा अटकाने के लिए चीन पर निशाना साधा और कहा कि यह तुच्छ भू-राजनीतिक हितों के कारण है।
आतंकी कृत्य एक आतंकी कृत्य होता है, यह बात बिल्कुल स्पष्ट है। पाकिस्तान के आतंकवादियों को लेकर चीन का दोहरा रवैया कोई नया नहीं है। एक तरफ अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर चीन आतंकवाद का विरोध करता लेकिन पाकिस्तान के मामले में उसका साथ देता है।
इससे पहले भी चीन ने जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर के भाई और पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन के सरगना अब्दुल रुऊफ अजहर को ब्लैक लिस्ट करने के लिए अमेरिका समर्थित प्रस्ताव पर तकनीकी रोक लगा दी थी। वह मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के प्रस्ताव में भी बाधक बना था। साजिद मीर पर 2008 के मुंबई हमलों के मुख्य साज़िशकर्ता होने का आरोप है। मीर लश्कर-ए-तैयबा का बड़ा आतंकवादी है।
संयुक्त राष्ट्र में उसे ग्लोबल टेररिस्ट घोषित करने का प्रस्ताव जब भी आता है, चीन अड़ंगा लगा देता है। वह अमेरिका और भारत की मोस्ट वांटेड सूची में शामिल है। चीन के इस रवैये को कतई स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए। साजिद मीर को बचाने का कारण स्पष्ट है कि चीन चाहता है कि पाकिस्तान के आतंकवादी भारत और अमेरिका पर हमला करते रहें और इसका फायदा उसको मिलता रहे। चीन अपनी विस्तारवादी बेलगाम महत्वाकांक्षा की वजह से आतंकवाद का समर्थक बन बैठा है।
