मुरादाबाद : बेटी की शादी के लिए जमा की थी पूंजी, बैंक खाते से गायब 

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Published By Bhawna
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गूगल से नंबर लेकर गंगाराम अस्पताल के डॉक्टर से मिलने का समय मांगने में हुई ठगी, डेढ़ महीने बाद दर्ज हुआ केस

मुरादाबाद, अमृत विचार। साइबर ठगी के मामले में पीड़ित की सुनवाई में काफी देरी की आम शिकायतें हैं। ऐसे ही एक मामला सिविल लाइन के अंबरीश कुमार वर्मा का सामने आया है। इनके बैंक खाते से डेढ़ लाख रुपये चोरी हो गए और यह केस दर्ज कराने के लिए डेढ़ महीने तक साइबर सेल से लेकर थाना, एसपी ग्रामीण और एसएसपी तक दौड़ते रहे। अब बुधवार शाम इनका केस सिविल लाइन थाने में दर्ज हुआ है।

अंबरीश कुमार वर्मा भारतीय दूर संचार निगम (बीएसएनएल) में कार्यालय अधीक्षक पद से सेवानिवृत्त हैं। इन्होंने इलाज के लिए 18 मई को नई दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में संपर्क करने को गूगल से मोबाइल नंबर लिया, बात की। वह डॉ. शंकर आचार्य से मिलना चाह रहे थे। कॉल रिसीव करने वाले ने इन्हें अपना नाम शोमैन बताया। शोमैन ने अंबरीश से कहा, अभी हमारे मैनेजर आपसे बात करेंगे। उसके बाद दूसरे नंबर से अंबरीश के फोन पर कॉल आई। कॉलर ने अपना नाम अनिल मिश्र बताया और गंगाराम अस्पताल से बोलने की बात कही। उसने अंबरीश से सवाल किया कि आपको डॉ. शंकर आचार्य से मिलने का समय लेना है? जिस पर अंबरीश ने हामी भरी तो उसने पंजीकरण के नाम पर 450 रुपये मांगे।

अंबरीश ने कॉलर अनिल मिश्र से कहा ये 450 रुपये कैसे भेजें तो उसने उनके व्हाट्सएप पर लिंक भेजा और अंबरीश ने उसे क्लिक किया तो ऑटोमैटिक उनके मोबाइल पर एप लोड हो गया। फिलहाल, 450 रुपये पेमेंट नहीं हो पाए तो कॉलर ने उनसे कहा कि ठीक है 27 मई को आना तो अस्पताल में ही पेमेंट कर देना। अंबरीश ने बताया कि 18 मई को बातचीत होने के बाद 20 मई के दिन उनके पंजाब नेशनल बैंक खाते से 50 हजार और भारतीय स्टेट बैंक खाते से एक लाख रुपये कट गए। तब उन्हें समझ आया कि वह साइबर ठगी का शिकार हो गए। परेशान अंबरीश उसी दिन सबसे पहले 1930 पर कॉल कर पुलिस को खबर की और पुलिस की तरफ से मांगे गए बैंक पासबुक, वित्तीय स्टेटमेंट आदि का विवरण व्हाट्सएप किया।

उसी दिन वह पुलिस लाइन में साइबर सेल में भी जाकर घटना बताई। अंबरीश के मुताबिक, साइबर सेल टीम के लोगों ने उनसे प्रार्थना पत्र ले लिया लेकिन, केस दर्ज करने की बात पर उन्हें सिविल लाइन थाने जाने की सलाह दी। यहां भी सुनवाई नहीं हुई तो वह पुलिस अधीक्षक ग्रामीण से मिले। वह साइबर सेल से थाने और एसपी ग्रामीण एवं एसएसपी तक भागदौड़ में करीब डेढ़ महीने से भी अधिक समय बीत गया, तब बुधवार को सिविल लाइंस थाने में केस दर्ज हुआ है।

बेटी की शादी के लिए पेंशन के बदले ली थी एकमुश्त रकम
अंबरीश कुमार वर्मा ने बताया कि वह बीएसएनएल कर्मियों की यूनियन के जिला सचिव हैं। उन्होंने विभाग में कार्यालय अधीक्षक पद से 31 जनवरी 2020 को वीआरएस (स्वैच्छिक सेवानिवृत्त) ले लिया था। फिर बड़ी बेटी के विवाह के लिए उन्होंने पेंशन के बदले परिचित से एकमुश्त धनराशि ली थी। बैंक खाते में 31 जनवरी 2023 को करीब 6 लाख रुपये आए थे। इसी खाते से डेढ़ लाख रुपये साइबर ठग ने गायब कर लिए। पैसे चोरी होने के बाद से अंबरीश परेशान रहते हैं। इनके दो बेटियां हैं।

अंबरीश कुमार वर्मा के मामले में जांच हुई होगी। इनके खाते से जिस खाते में पैसा ट्रांसफर हुआ उसमें रुपये नहीं होंगे, इसलिए केस दर्ज करने में देरी हुई होगी। खाता फ्रीज कराने की कार्रवाई तब तक होती है, जब ठगी करने वाले के खाते में रुपये हों। यदि उस खाते में रुपये नहीं हैं तो जल्दबाजी न दिखाते हुए आरोपी के बारे में पुख्ता जानकारी जुटाने की कोशिश की जाती है।- हेमराज मीना, एसएसपी

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