बरेली: सोशल मीडिया और मोबाइल गेमिंग, बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर डाल रहे बुरा प्रभाव
ऑनलाइन गेमिंग की वजह से पढ़ाई से भी दूर हो रहे बच्चे, स्वभाव में हो रहा बदलाव
बरेली, अमृत विचार। मोबाइल की लत न सिर्फ बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डाल रही है, बल्कि उनके स्वभाव में बदलाव देखने को मिल रहा है। मोबाइल पर ऑनलाइन गेमिंग और सोशल मीडिया के इस्तेमाल से न बच्चे पढ़ाई से भी दूर होते जा रहे हैं। इस समस्या से अभिभावक भी परेशान हैं। जिला अस्पताल के मनकक्ष में पिछले दो साल में इस तरह के मामले दोगुने हो गए हैं।
लक्षण
चिड़चिड़ाना, लड़ना-झगड़ना, गुमसुम रहना, अकेले रहना, बात-बात पर झूठ बोलना, दिन में सोना, रात में जागकर मोबाइल चलाना, संदेहास्पद कार्यों में लिप्त, सिर दर्द, बेचैनी, घबराहट, नशा आदि करना।
विशेषज्ञों के सुझाव
विशेषज्ञों का कहना है कि इस लत से बच्चों को छुटकारा दिलाने के लिए अभिभावक उनके साथ संवाद स्थापित करें। सप्ताह में कम से कम एक दिन पूरा परिवार एक साथ बिताए, इस दौरान मोबाइल, टीवी आदि से दूरी बनाकर रखी जाए। परिवार के साथ घूमने जाएं और आउटडोर खेल खेलें। बच्चे के मोबाइल फोन, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अभिभावकों की एक्सेस होना चाहिए, सोशल मीडिया प्रोफाइल की फ्रेंड लिस्ट में अभिभावक खुद को जरूर जोड़ें। साथ ही परिवार के निर्णयों में बच्चों को भी शामिल करें। प्रतिदिन शारीरिक अभ्यास के लिए बच्चों को टॉस्क जरूर दें। अपने मोबाइल पासवर्ड बड़ा डालें, जो बच्चे न खोल सकें।
सोशल मीडिया पर खुलेआम परोसी जा रही अश्लील सामग्री

देश दुनिया की जानकारी के साथ सगे-संबंधियों और मित्रों से जुड़े रहने के लिए अनेक सोशल मीडिया साइट हैं लेकिन इन साइटों पर आधुनिकता की आड़ में अश्लील सामग्री भी फोटो और वीडियो के रूप में परोसी जा रही है। इन साइटों पर किसी तरह का प्रतिबंध भी नहीं है।
मोबाइल के चक्कर में परिवार से हो जाएंगे दूर

अगर बच्चों को समय रहते मोबाइल से दूर नहीं किया गया तो धीरे-धीरे परिवार से भी दूर हो जाएंगे। क्योंकि बच्चे न तो अपने स्वास्थ्य पर ध्यान दे रहे हैं न ही परिवार के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझ रहे हैं। - जय सहाय, अभिभावक
सोशल मीडिया और ऑनलाइन गेम पर बहुत से ऐसे विज्ञापन लगातार आ रहे हैं जो बच्चों के लिए किसी भी दशा में उचित नहीं हैं। इस तरह की सामग्री देखने से बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। - प्रिया परमार, अभिभावक
बच्चे नहीं, अभिभावक हैं अधिक जिम्मेदार

अगर माता-पिता अपनी कुछ आदतें सुधार लें और खुद मोबाइल पर अधिक समय व्यतीत न करें। वे बच्चों के साथ खेले, बात करें या अधिक से अधिक समय उनके साथ बिना मोबाइल के बीताएं तो बच्चों की लत कम हो सकती है। बीते दो साल में करीब दो गुने से अधिक ऐसे केस बढ़े हैं। इसके लिए जरूरी है बच्चों को मोबाइल न दें और दें भी तो उन पर नजर बनाएं रखें। मोबाइल के अधिक इस्तेमाल से बच्चों में कई तरह की मानसिक बीमारियां होने का खतरा बना रहता है। इसलिए इस पर रोक जरूर लगाएं - डाॅ. आशीष कुमार सिंह, मनोचिकित्सक मन कक्ष
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