बरेली: हिंसक कुत्तों के हमले में उप परिवहन आयुक्त घायल, ग्रीन पार्क में सड़क पर गिराया

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Published By Om Parkash chaubey
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बरेली, अमृत विचार : स्मार्ट सिटी घोषित किए जा चुके बरेली शहर में भी हिंसक कुत्तों की समस्या गंभीर होने लगी है। ग्रीन पार्क में रविवार को ईवनिंग वाक के लिए निकले उप परिवहन आयुक्त संजय सिंह कुत्तों के हमले का शिकार हो गए। कुत्तों के झुंड के झपटने के बाद उन्होंने भागने की कोशिश की तो गिर पड़े जिसके बाद कुत्ते उन पर टूट पड़े।

आसपास मौजूद लोगों ने कुत्तों को भगाकर उन्हें बचाया लेकिन इस हमले ने उन्हें बुरी तरह दहशतजदा कर दिया। ग्रीन पार्क में रहने वाले उप परिवहन आयुक्त संजय सिंह के मुताबिक वह रविवार शाम टहलने के लिए घर के बाहर निकले थे। इसी बीच सड़क पर मौजूद आवारा कुत्तों का झुंड भौंकते हुए उन पर झपट पड़ा।

कुत्तों से बचने के लिए वह भागे तो सड़क पर गिर गए। इसके बाद कुत्ते उन पर हमला करने लगे लेकिन इसी बीच शोर सुनकर आसपास मौजूद लोग दौड़ पड़े और कुत्तों को भगाकर उन्हें बचा लिया। फिर भी संजय सिंह घायल हो गए। उनके हाथ और पैर में चोटें आई हैं।

जिंदगी खतरे में नजर आई, पहली बार डर लगा: कुत्तों के हमले में बाल-बाल बचे उप परिवहन आयुक्त संजय सिंह बताया कि उन्हें जरा भी अंदाजा नहीं था कि कुत्ते अचानक हिंसक होकर उन पर टूट पड़ेंगे। पहली बार उन्हें डर लगा और जीवन खतरे में नजर आया। घायल होने की वजह से वह सोमवार को अपने कार्यालय भी नहीं गए। घर में ही बैठकर कार्यालय के काम निपटाए।

गांवों में कई बच्चों की जान ले चुके, अब शहर के पॉश इलाकों में भी रहना दूभर: नगर निगम की सीमा में शहर से सटे गांव बंडिया और गौटिया गांव में दो साल में कुत्तों के हमलों में चार बच्चों की जान जा चुकी है। पिछले साल मोरपाल और रोहनी की कुत्तों के झुंड के हमले में मौत हो गई थी।

चार महीने पहले बंडिया में ही दो साल की परी की भी कुत्तों ने जान ले ली। फिर तीन मई को खना गौंटिया में 12 साल के अयान की भी मौत हो गई थी। अब शहर के पॉश इलाकों में भी ऐसी ही घटनाएं बढ़ने लगी हैं। रामपुर बाग और राजेंद्रनगर समेत कई इलाकों में आवारा कुत्तों और बंदरों के हमलों में घायल होने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है।

एक महीने बाद भी नहीं भरे चांद बी के जख्म: बंडिया गांव में 17 जून को फरजंद अली की नौ वर्षीय बेटी चांद बी को कुत्तों ने हमला कर दिया और उसे खींचते हुए खेत की तरफ ले गए। कुत्तों के दांतों से बच्ची के फेफड़ों तक में छेद हो गए। उसे लखनऊ रेफर करना पड़ा था। वहां भी ठीक से इलाज न होने पर परिवार उसे बरेली ले आया। एक महीने बाद भी उसकी हालत ठीक नहीं है।

फिर भी नगर निगम बेखबर... : शहर से देहात तक में आवारा कुत्तों और बंदरों के हमलों से लोगों की जिंदगी संकट में है। शहर के अलग-अलग इलाकों में कुत्ते-बंदरों के आतंक की शिकायतों की नगर निगम में भरमार है, फिर भी इस आतंक से निजात नहीं मिल पा रही है। गाहे-बगाहे नगर निगम छोटा-मोटा अभियान चलाकर खानापूरी कर देता है। लोगों का यह भी आरोप है कि शहर के एक इलाके से बंदर-कुत्ते पकड़कर दूसरे इलाके में छोड़ दिए जाते हैं, इसी कारण ऐसे अभियान कोई राहत नहीं दे पा रहे हैं।

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