बरेली: नकली देशी घी फैक्ट्री चलाने में 5 को उम्रकैद, 2 बरी

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Published By Vishal Singh
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प्रत्येक को 50-50 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई

बरेली, अमृत विचार। 14 वर्ष पूर्व नकली देशी घी फैक्ट्री चलाने के आरोपी बुलंदशहर थाना डिबाई हसागंज निवासी महेश कुमार, फतेहाबाद निवासी योगेंद्र, लोकमन, मोहल्ला शेखान निवासी सत्यप्रकाश, बिहारीपुर निवासी टिन्नी उर्फ सुबोध समेत 5 को सत्र परीक्षण में दोषी पाते हुए अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कोर्ट-13 अरविंद कुमार यादव ने आजीवन कारावास और प्रत्येक को 50-50 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। वहीं, सुभाषनगर सर्वोदय नगर निवासी रजनीश चौहान और नवादा शेखान निवासी अनुपम सक्सेना को बरी कर दिया।

एड़ीजीसी क्राइम तेजपाल सिंह राघव ने बताया कि सुभाषनगर पुलिस ने सूचना पर 15 अक्टूबर 2009 को बालाजी मंदिर मोड़ के सामने बदायूं रोड स्थित अनन्त सीमेंट एवं प्लाई ट्रेडर्स की दुकानों के नीचे बने बेसमेंट में दबिश देकर विभिन्न नामी ब्रांड का नकली देशी घी बनाते हुए आरोपियों को पकड़ा था। आरोपियों ने अपना नाम महेश, टिन्नी उर्फ सुबोध, योगेंद्र, लोकमन व सत्य प्रकाश बताया था। पूछताछ में बताया कि अनुपम सक्सेना, रजनीश चौहान और महेश कुमार यहां पर नकली देशी बनाने की फैक्ट्री चला रहे हैं। नकली देशी घी बनाने के लिए वनस्पति घी में रिफाइंड ऑयल गर्म कर मिलाते हैं।

देशी घी सुगंध के लिए सीटीए रसायन मिलाते हैं। इसके मिलते ही एक दम देशी घी जैसी सुगंध आने लगती है। मौके से कई क्विंटल तैयार और कच्चा माल बरामद हुआ था। पुलिस के साथ मौजूद खाद्य निरीक्षक विजयनंद सिंह ने बताया था कि बरामद पदार्थ नकली देशी घी है। पुलिस ने गंभीर धाराओं में रिपोर्ट दर्ज कर विवेचना के बाद आरोप पत्र कोर्ट भेजा था। शासकीय अधिवक्ता ने 7 गवाह पेश किए थे।

14 वर्ष पुराने केस में अभियोजन उदासीन, कोर्ट ने दिया अंतिम अवसर
14 वर्ष पूर्व थाना बारादरी मे दर्ज सरकार बनाम पुष्पेंद्र सिंह आदि मुकदमे मे अभियोजन द्वारा गवाही/साक्ष्य प्रस्तुत नही किया गया इस पर सिविल जज जूनियर डिवीजन एफटीसी कोर्ट ने अभियोजन को साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए अंतिम अवसर देकर सुनवाई को 24 अगस्त की तिथि नियत की है। मुल्जिम के अधिवक्ता जितेंद्र सिंह राणा बंटी ने बताया कि मामला लोकसेवक को भयभीत कर स्वेच्छा से चोट पहुंचाने, धमकी देने आदि धाराओ से सम्बन्धित है। 7 दिसम्बर 2011 को मुल्जिम के विरूद्व आरोप भी तय किया जा चुका है। अभियुक्त लगातार न्यायालय आ रहा है मगर अभियोजन पत्रावली निस्तारण के लिए उदासीन है।

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