बरेली: एसी कोच बढ़ाकर स्लीपर किए कम, अब सीट को लेकर मारामारी
मोनिस खान, बरेली, अमृत विचार। ट्रेनों के अंदर एसी कोच बढ़ाकर स्लीपर कोच करने की रेलवे की तरकीब से यात्री परेशान हो रहे हैं। हालत यह है कि स्लीपर कोचों के अंदर यात्रियों की भीड़ क्षमता के मुकाबले दोगुना तक पहुंच गई। मुरादाबाद रेल मंडल के यात्री गणना का सर्वे तो यही कह रहा है। वहीं अधिकारियों का तर्क है कि स्लीपर के मुकाबले एसी में वेटिंग अधिक बढ़ने लगी है। इसलिए यात्रियों की मांग के अनुसार ही एसी कोच बढ़ाये गए।
रेलवे मुख्यालय साल में दो बार यात्री गणना कराता है। जिसमें ट्रेनों के अलग-अलग श्रेणियों के अंदर चलने वाले यात्रियों की गणना होती है। इस बार अर्द्धवार्षिक सर्वे में मुरादाबाद रेल मंडल की 263 मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों और 63 स्पेशल ट्रेनों में यात्रियों की गणना की गई। सर्वे से पता चला कि कुछ ट्रेनों में स्लीपर कोचों की संख्या कम हो जाने के कारण यात्रियों की तादाद क्षमता से दोगुना तक पहुंच रही है, जबकि पिछली बार यात्री गणना में क्षमता के मुकाबले स्लीपर कोचों में 120 से 130 प्रतिशत और जनरल कोचों में 150 प्रतिशत तक यात्री सफर कर रहे थे।
अवध असम एक्सप्रेस में पैर रखने की जगह नहीं
बरेली जंक्शन से गुजरने वाली ट्रेनों में सबसे बुरी हालत अवध असम एक्सप्रेस की है। इस ट्रेन में पैर रखने तक की जगह नहीं है। सोमवार को ट्रेन बरेली जंक्शन पहुंची तो न तो स्लीपर में जगह थी और न ही जनरल कोच में। इस ट्रेन में पहले आठ एसी कोच और 10 स्लीपर कोच होते थे लेकिन अब 13 एसी और सिर्फ चार ही स्लीपर कोच लगाए जा रहे हैं।
स्लीपर और जनरल में यात्रियों की संख्या प्रतिशत में
ट्रेन संख्या ट्रेन का नाम स्लीपर जनरल
15910/09 अवध असम 175 185
13005/06 पंजाब मेल 168 200
12229/30 लखनऊ मेल 165 200
13151/52 सियालदह एक्स. 155 180
12332/31 हिमगिरी एक्स. 160 180
इन स्टेशनों पर किया गया सर्वे
बरेली जंक्शन, बालामऊ, शाहजहांपुर, मुरादाबाद, हापुड़, नजीबाबाद, हरिद्वार
मांग के लिहाज से ट्रेनों में व्यवस्था की जाती है। देखने में आया है कि स्लीपर कोचों की अपेक्षा एसी कोचों के अंदर अधिक वेटिंग आती है। जिसके चलते कुछ ट्रेनों में एसी कोच बढ़ाकर स्लीपर कोच काम किए गए हैं। हालांकि इस तरह के बदलाव रेलवे बोर्ड के स्तर से होते हैं।-सुधीर सिंह, सीनियर डीसीएम, मुरादाबाद रेल मंडल
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