Jalaun: 26 साल में मिला न्याय, दोषी को तीन साल का कारावास, एससीएसटी एक्ट में विशेष न्यायाधीश ने सुनाया फैसला

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Published By Nitesh Mishra
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जालौन, अमृत विचार। अनुसूचित जाति के सरकारी अधिकारी से मारपीट एवं अन्य धाराओं के एक मामले में 26 वर्ष में फैसला हो पाया। दोष सिद्ध  होने पर विशेष न्यायाधीश ने तीन साल की सजा सुनाई है। इसी के साथ 10 हजार रुपए अर्थदंड लगाया है।

जानकारी के अनुसार 27 जून 1997 को जिले के कर अधिकारी ने शहर कोतवाली पुलिस को तहरीर देकर बताया था कि उसके साथ शहर के जिला परिषद के पास लोक निर्माण विभाग के गोदाम के पास शहर नवासी हरिओम नीखरा ने जाति सूचक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए अभ्रदता की और जान से मारने की धमकी दी थी। पुलिस ने मामला दर्ज कर हरिओम नीखार को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।

पुलिस ने आरोपी के खिलाफ न्यायालय में चार्जशीट दाखिल कर दी थी। शासकीय अधिवक्ता रणकेंद्र सिंह भदौरिया ने बताया कि एससी एसटी कोर्ट में 26 साल चले  ट्रायल के बाद सोमवार को दोनों पक्षों की ओर से अधिवक्ताओं की जिरह व गवाहों के बयानो को सुनने के बाद न्यायाधीश शिव कुमार ने हरिओम नीखरा को दोषी मानते हुए तीन साल की सजा सुना दी। इसी के साथ 10 हजार रुपए का आर्थिक दंड लगाया है। अर्थदंड जमा न करने पर छह माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना पड़ेगा।

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