बरेली: 40 साल बाद बदला जाएगा जुलूस-ए-मोहम्मदी का रास्ता, जानें वजह

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Published By Vikas Babu
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कोहाड़ापीर से सौदागरान तक निकाला जाता है जुलूस

बरेली, अमृत विचार। पैगंबर-ए-इस्लाम की यौम-ए-विलादत ईद मिलादुन्नबी के तौर पर मनाई जाती है। इस साल यह त्योहार 28 सितंबर को मनाया जाएगा। बरेली में इस मौके पर जुलूस-ए-मोहम्मदी निकालने की परंपरा है, लेकिन 40 साल पुराना यह जुलूस इस बार अपने परंपरागत रास्तों से नहीं निकाला जा सकेगा, क्योंकि जिस रास्ते से यह जुलूस निकाला जाता है, उसके एक बड़े हिस्से पर कुतुबखाना पुल का निर्माण कार्य चल रहा है। ऐसे में जुलूस का रास्ता बदला जाएगा। हालांकि, अभी यह तय नहीं हो पाया है कि जुलूस किस नए रास्ते से निकाला जाएगा।

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जुलूस-ए-मोहम्मदी की आयोजक कमेटी अंजुमन खुद्दामे रसूल के सचिव शान रजा ने बताया कि जुलूस-ए-मोहम्मदी निकालने की शुरुआत 1983 में हुई थी। पहले चादरों का जुलूस घंटाघर से दरगाह आला हजरत तक निकाला जाता था।

1990 में कोहाड़ापीर पेट्रोल पंप से जुलूस निकाला जाने लगा। शुरुआत में जुलूस में करीब तीन दर्जन अंजुमन शामिल होती थीं, अब इनकी संख्या बढ़कर 192 हो चुकी है। बताया कि परंपरागत रास्ते के अनुसार जुलूस कोहाड़ापीर पेट्रोल पंप से कुतुबखाना, घंटाघर, जिला अस्पताल, कोतवाली, नॉवल्टी चौराहा, राजकीय इंटर कॉलेज, जिलापंचायत रोड और बिहारीपुर ढाल के रास्ते दरगाह आला हजरत पर समाप्त होता है।

शान रजा ने बताया कि प्रशासनिक अधिकारियों से जुलूस के रास्ते को लेकर अभी बैठक नहीं हुई है। शनिवार को अधिकारियों से मुलाकात की थी। कोहाड़ापीर से निकाले जाने वाले जुलूस के रास्ते को लेकर एक दो दिन में मीटिंग करने का आश्वासन दिया है।

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