मुरादाबाद : गोल्डन कार्ड बनाने में सुस्ती से अभियान पर ग्रहण, अब आशाओं के कंधे पर कार्ड बनाने का जिम्मा
आयुष्मान भव: अब तक सिर्फ 55 प्रतिशत लाभार्थी परिवारों के ही बन पाए हैं आयुष्मान कार्ड
मुरादाबाद, अमृत विचार। आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के अंतर्गत गोल्डन कार्ड बनाने में स्वास्थ्य विभाग कच्छप चाल चल रहा है। कई साल बीतने पर भी अभी तक लाभार्थी परिवारों में से सिर्फ 55 फीसदी को योजना का कार्ड बनकर मिला है। ऐसे में रविवार से शुरू हुए आयुष्मान भव: अभियान पर ग्रहण लग गया है। इसमें जिले के अन्य ब्लॉकों की अपेक्षा मंडल मुख्यालय की स्थिति और खराब है।
प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना में कामन सर्विस सेंटरों के माध्यम से पहले कार्ड बनाए जाते थे। लेकिन, बाद में भुगतान का मोड बदलने पर सीएससी संचालकों ने इससे मुंह मोड़ लिया। इसके चलते कार्ड बनाने की प्रगति लगभग थम गई। जिले में योजना के तहत 2,78,503 परिवारों को शामिल किया गया। इन परिवारों में से अभी तक 1,42,183 को गोल्डन कार्ड ही बन पाया है। परिवारों के कार्ड बनाने के आधार पर जिले की प्रदेश में 22वीं रैंक हैं। जबकि परिवार के हर लाभार्थी सदस्य का कार्ड बनाने में 15वें नंबर पर है।
मंडल मुख्यालय पर शहरी क्षेत्र की स्थिति अन्य ब्लॉकों की अपेक्षा और खराब है। मुरादाबाद सदर ब्लॉक में 21,953 में से 13,129 और महानगर में 83,246 परिवारों में से सिर्फ 33,671 के कार्ड बने हैं जो 50 फीसदी से कम हैं। जबकि देहात क्षेत्र के ब्लॉकों के आंकड़े देखें तो भगतपुर टांडा में 25640 में से 15031, बिलारी में 30,260 परिवारों में से 15086, छजलैट में 23073 में से 12312, डिलारी में 20910 में से 11525, कुंदरकी में 30108 में से 16359 परिवारों को कार्ड बने हैं। लाभार्थी परिवार के हर सदस्य को साल में आयुष्मान योजना के तहत गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए 5 लाख रुपये तक की मुफ्त इलाज की सुविधा है।
मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. कुलदीप सिंह का कहना है कि आशाओं को प्रशिक्षण कर योजना का कार्ड बनाने में दक्ष किया जाएगा। जिससे वह सूची में शामिल लाभार्थी परिवार का गोल्डन कार्ड बनाने में अपनी जिम्मेदारी निभा सकें। इस कार्य में तेजी लाने के लिए स्वास्थ्य केंद्रों के प्रभारी चिकित्साधिकारियों को भी निर्देश दिया है।
अब आशाओं के कंधे पर कार्ड बनाने का जिम्मा
कामन सर्विस सेंटर संचालकों की बेरुखी के बाद अब सरकार ने आशा स्वास्थ्य कर्मियों के कंधे पर गोल्डन कार्ड बनाने की जिम्मेदारी दे दी है। आशाओं को एंड्रायड मोबाइल से लाभार्थी परिवार के घर पर पहुंचकर सूची में उसका नाम सत्यापित करने के बाद सभी दस्तावेज लेकर उसे अपलोड करनी है। लेकिन, सभी आशाओं के तकनीकी रूप से दक्ष और उच्च शिक्षित न होने से इस कार्य में अड़चन आ रही है। जिलाधिकारी के निर्देश पर आशाओं को प्रशिक्षित करने पर अब अधिकारी ध्यान देंगे।
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