Allahabad High Court: पीठासीन अधिकारियों के पद पर नियुक्ति की मांग को लेकर याचिका दाखिल

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Published By Deepak Mishra
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प्रयागराज। उत्तर प्रदेश राज्य में श्रम न्यायालयों/औद्योगिक न्यायाधिकरणों में पीठासीन अधिकारियों के पद पर नियुक्ति की मांग को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गई है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि राज्य और केंद्र सरकार के अधिकारी पिछले 2 वर्षों से उक्त पदों को खाली रखकर यूपी औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 के तहत अपने दायित्वों का निर्वहन नहीं कर रहे हैं। 

एक सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा दाखिल वर्तमान याचिका में कोर्ट को बताया गया  कि राज्य में 6 औद्योगिक न्यायाधिकरण और 20 श्रम न्यायालय हैं, लेकिन यह न्यायालय और न्यायाधिकरण राज्य के लिए राजस्व उत्पन्न नहीं कर पाते हैं, इसीलिए उन्हें उपेक्षित किया गया है।

याचिका में यह भी आरोप लगाया गया कि इलाहाबाद, लखनऊ, कानपुर और आगरा में औद्योगिक न्यायाधिकरण तथा कानपुर, आगरा, रामपुर, फिरोजाबाद, सहारनपुर, गाजियाबाद, झांसी, मेरठ और नोएडा में श्रम न्यायालय में पीठासीन अधिकारी के पद खाली हैं। इस कारण लगभग 6063 मामले लंबित हैं, जिससे 5 लाख से अधिक औद्योगिक/ संविदा श्रमिकों और उनके परिवार प्रभावित हुए हैं। 

याचिका में  यह भी बताया गया है कि सरकार ने उक्त पदों पर नियुक्तियां करने के बजाय एक सरकारी आदेश जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि मौजूदा पीठासीन अधिकारी सप्ताह में तीन दिन बाकी पीठों की अध्यक्षता करेंगे। 

याची का तर्क है कि पीठासीन अधिकारियों की नियुक्ति में देरी से न्याय मिलने में देरी हो रही है। न्याय में देरी न्याय न मिलने के बराबर है। अंत में मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने राज्य सरकार को लिस्टिंग की अगली तारीख से पहले निर्देश प्राप्त करने का आदेश दिया है।

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