शाहजहांपुर: बुखार का कहर, बेटे के बाद पिता ने भी तोड़ा दम, सदमे में परिवार

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Published By Vikas Babu
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पुवायां नगर समेत आसपास गांव के तमाम लोग तप रहे बुखार में

पुवायां, अमृत विचार। क्षेत्र में बुखार का असर कम नहीं हो रहा है। गांव नाहिल में नन्हे लाल की 28 सितंबर को मौत हो गई थी इसके दो दिन बाद ही बीमार बुजुर्ग पिता फकीरचंद की भी मृत्यु हो गई। क्षेत्र में फैले जानलेवा बुखार से अब भी दर्जनों लोग बीमार हैं। वहीं सरकारी और प्राइवेट अस्पताल में लोगों की भीड़ लग रही है। तमाम लोग ऐसे भी हैं, जो बरेली और लखनऊ में इलाज करा रहे हैं।

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गांव नाहिल निवासी 70 वर्षीय फकीर चंद को करीब एक सप्ताह से बुखार आ रहा था। वह गांव के ही डॉक्टर के यहां इलाज कराते रहे लेकिन कोई भी स्वास्थ्य लाभ नहीं हुआ। कुछ दिन बाद उनका पुत्र 40 वर्षीय नन्हे लाल भी वायरल बुखार की चपेट में आ गया और उसका भी गांव के ही डॉक्टर के यहां इलाज चला। लेकिन उसकी भी हालत खराब होती चली गई और 28 सितंबर को नन्हेंलाल की मौत हो गई।

बुखार से जवान बेटे की मौत से बीमार बुजुर्ग पिता फकीरचंद  की हालत और भी खराब होती चली गई। दो दिन बाद फकीर चंद ने भी दम तोड़ दिया। पिता-पुत्र की मौत से परिवार के लोगों का रो-रोकर बुरा हाल है। वहीं जानलेवा बुखार की वजह से गांव के लोग सहमे हुए हैं।

नाहिल गांव समेत पुवायां के सैकड़ों गांवों में घर-घर में वायरल बुखार से पीड़ित रोगियों की भरमार है। ग्रामीणों का आरोप है कि जनप्रतिनिधियों के द्वारा क्षेत्र भर में फैले वायरल बुखार, डेंगू, मलेरिया, दिमागी  बुखार के रोकथाम के लिए कोई भी रुचि नहीं ली जा रही है।

जनप्रतिनिधि केवल स्वच्छता अभियान के तहत हाथों में झाड़ू पकड़कर फोटो खिंचवाने में व्यस्त हैं और स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के अधीक्षकों के द्वारा भी संक्रामक रोगों के उन्मूलन रोकथाम के लिए कोई भी कार्रवाई नहीं की जा रही है।

पैथालॉजी पर सुबह से ही लगनी शुरू हो जाती है भीड़
पुवायां नगर की विभिन्न मार्गों पर चलने वाली पैथोलॉजी पर सुबह होते ही वायरल बुखार के रोगी भारी संख्या में पहुंचने लगते हैं, जबकि पैथोलॉजी नौ बजे तक खुलता है। भारी भीड़ के कारण जांच करने वालों को लंबी लाइन का सामना करना पड़ता है। कई कई घंटे बाद बुखार के रोगी का ब्लड टेस्ट पैथोलॉजी में लिया जाता है। जानलेवा डेंगू के डंक से भयभीत हर आदमी बुखार आते ही सोचने लगता है कि कहीं उसे भी डेंगू न हो गया हो, इसीलिए वह तत्काल जांच करवाना चाहता है।

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