पीलीभीत: चलेगा रेस्क्यू बोलते हुए कर लिए फोन ऑफ, भाकियू नेता अब डेरा डालने को तैयार...जानिए मामला
पीलीभीत, अमृत विचार। पीलीभीत टाइगर रिजर्व से सटे माधोटांडा क्षेत्र के मथना, रानीगंज, बांसखेड़ा में बाघों की दहशत है। दस दिन पूर्व से एक बाघ बांसखेड़ा गांव के आसपास बाघ डेरा जमाए है। आए दिन किसी ने किसी पशु पर हमलावर हो रहे हैं।
इधर, वन विभाग रेस्क्यू नहीं कर सका है। ग्रामीणों का आरोप है कि रविवार को रेस्क्यू का भरोसा दिलाया जाता रहा और बाद में कोई कदम उठाए ही नहीं गए। उधर, आसपुर में बाघ ने दस्तक दे डाली। जिससे दहशत और बढ़ गई है। भाकियू नेता ने इसे लेकर कड़ी नाराजगी जताते हुए 48 घंटे में बाघ- बाघिन का रेस्क्यू ना होने पर टाइगर रिजर्व कार्यालय में डीएफओ का घेराव करने का ऐलान कर दिया है।
बता दें कि कलीनगर तहसील क्षेत्र के गांव बांसखेड़ा में 28 सितंबर से बाघिन एक आम के बाग में डेरा जमाए बैठी है। बाघिन को ट्रैंक्यूलाइज करने के लिए दो बार रेस्क्यू ऑपरेशन किया गया लेकिन अभी तक बाघिन पकड़ में नहीं आई। पीलीभीत टाइगर रिजर्व और सामाजिक वानिकी टीम के फेल होने के बाद अफसरों ने दुधवा नेशनल पार्क के डॉ. दया और रामपुर के डीएफओ राजीव कुमार को कमान सौंपी थी।
माना जा रहा है सीएम के आगमन के बीच कोई बवाल न हो जाए, इसलिए अधिक जोर दिया गया था। सीएम का दौरा होने तक टीम मौके पर बाघिन को रेस्क्यू करने के लिए जुटी रही। हालांकि बाघिन को पकड़ा नहीं जा सका। रविवार को रेस्क्यू करने का आश्वासन दिया गया था। मगर रेस्क्यू टीम नहीं पहुंची।
सिर्फ निगरानी तक दावे सीमित रह गए। बांसखेड़ा और आसपुर गांव के बीच में बाघ -बाघिन की चहलकदमी देखने को मिली। जब दोपहर तक टीम नहीं आई तो भारतीय किसान यूनियन टिकैत युवा विंग के युवा जिलाध्यक्ष गुरदीप सिंह गोगी ने दूरभाष पर संपर्क साधा। आरोप है कि वन विभाग के जिम्मेदार गुमराह करते रहे। फिर फोन बंद कर लिया। इस पर ग्रामीणों और किसान यूनियन के नेताओं में रोष दिखा। आलम यह है कि दहशत के चलते खेती भी प्रभावित हो रही है। जबकि इन दिनों धान की कटाई होनी है।
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