बरेली: गबन करने वाली कंपनी को ब्लैकलिस्ट करना नगर आयुक्त पर भारी और शहर पर भी
बिगड़ती स्थिति के बीच नगर स्वास्थ्य अधिकारी ने खुद को कार्यमुक्त करने के लिए लिखा पत्र, हालात और बेकाबू होने का अंदेशा
बरेली, अमृत विचार। गबन करने वाली कंपनी को ब्लैकलिस्ट करना नगर आयुक्त को भी भारी पड़ रहा है और शहर को भी। शहर में बिगड़ते हालात के बीच नगर स्वास्थ्य अधिकारी ने खुद को कार्यमुक्त करने के लिए उन्हें पत्र लिख दिया है तो दूसरी तरफ ब्लैकलिस्ट की गई कंपनी के जिन कर्मचारियों को मौखिक आदेश देकर डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन कराया जा रहा था, उन्होंने अपना वेतन फंसने के डर से लिखित आदेश मांगना शुरू कर दिया है। नगर स्वास्थ्य अधिकारी पहले ही कंपनी को ब्लैकलिस्ट करने के फैसले पर असहमति जता रहे थे।अब पहले ही जूझ रहे शहर में आगे हालात और बिगड़ने का अंदेशा है।
नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. संचित शर्मा की ओर से दिए गए कार्यमुक्ति संबंधी पत्र में अपनी व्यस्तता को इसका कारण बताया गया है। इससे पहले भी वह एक बार इसी तरह का पत्र लिख चुके हैं लेकिन नगर आयुक्त के कहने पर काम करते आ रहे थे। दरअसल, पिछले दिनों यूजर चार्ज के करीब दो करोड़ रुपये के गबन के मामले में डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन करने वाली कंपनी को ब्लैकलिस्ट करने के बाद हालात एकाएक बिगड़ गए हैं। नगर आयुक्त के आदेश के बाद डॉ. संचित शर्मा ने जवाबी पत्र लिखा था कि अगर कोई वैकल्पिक व्यवस्था होने तक एजेंसी से काम लेना बंद किया गया तो शहर में सफाई व्यवस्था चरमरा जाएगी। ऐसे में वह अपने ऊपर कोई जिम्मेदारी नहीं ले पाएंगे।
कुछ दिन बाद डॉ. संचित शर्मा ने एजेंसी को ब्लैक लिस्ट तो कर दिया लेकिन नगर आयुक्त के आदेश के बावजूद एफआईआर दर्ज नहीं कराई। अब उन्होंने खुद को नगर स्वास्थ्य अधिकारी पद से कार्यमुक्त करने का पत्र लिख दिया तो नगर निगम में एक बार फिर हलचल शुरू हो गई है। उधर, सोमवार को ही डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन करने वाले कर्मचारी भी अपर नगर आयुक्त द्वितीय से मिले और शहर में काम करने के लिए लिखित आदेश की मांग की। दरअसल, ब्लैकलिस्ट की गई एजेंसी के ये कर्मचारी कुछ दिन से अफसरों के मौखिक आदेश पर डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन कर रहे थे। अब उन्होंने आशंका जतानी शुरू कर दी है कि मौखिक आदेश देकर काम कराने वाले अफसर इधर-उधर हो गए तो उनका वेतन भी फंस जाएगा। फिलहाल अपर नगर आयुक्त ने उन्हें समझाकर वापस भेज दिया है। डॉ. संचित शर्मा से बात करने के लिए फोन किया तो उन्होंने कॉल रिसीव नहीं की।
नियमविरुद्ध थी डॉ. संचित की नगर निगम में तैनाती
नगर स्वास्थ्य अधिकारी की तैनाती सीएमओ करते हैं। इसके लिए लेवल-4 स्तर के डॉक्टर की तैनाती नगर निगम में की जानी चाहिए। मौजूदा नगर स्वास्थ्य अधिकारी लेवल-1 के डॉक्टर हैं। नगर निगम में तैनात होने वाले अफसर एसीएमओ स्तर के होते हैं लेकिन पूर्व सीएमओ डॉ. बलवीर सिंह डॉ. संचित शर्मा को फतेहगंज पश्चिमी पीएचसी के साथ नगर स्वास्थ्य अधिकारी जैसे महत्वपूर्ण पद का भी चार्ज दे गए। बता दें कि नगर निगम में नगर स्वास्थ्य अधिकारी के दो पद हैं, एक सीएमओ और दूसरा एसीएमओ स्तर का। कई सालों से एसीएमओ स्तर के अधिकारी ही यहां तैनात होते आ रहे हैं। इस समय भी लेवल-1 के डॉ. संचित शर्मा के साथ लेवल- 4 के डॉ. सुरेश की तैनाती नगर निगम में है लेकिन वह ज्यादातर नगर निगम में नहीं आ रहे थे। डॉ. सुरेश की तैनाती बहेड़ी में है। उनकी डॉक्टर पत्नी भी बहेड़ी में हैं। इसे उनके यहां न आने का एक कारण माना जा रहा है। यह भी कहा जा रहा है कि लेवल -1 के डॉक्टर के अधीन उनकी तैनाती भी इसकी एक वजह है।
नगर स्वास्थ्य अधिकारी की ओर से कार्यमुक्त करने के लिए लिखा गया पत्र अभी मेरे पास नही आया है। दूसरी बात यह है कि जब मैंने उन्हें तैनात ही नहीं किया है तो उन्हें कार्यमुक्त कैसे कर सकती हूं। उनकी तैनाती सीएमओ ने की थी। - निधि गुप्ता वत्स, नगर आयुक्त
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