Allahabad High Court: मुख्तार अंसारी के मामले की सुनवाई से न्यायमूर्ति ने खुद को किया अलग, जानें वजह

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Published By Deepak Mishra
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प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी की तीसरी जमानत अर्जी की सुनवाई से खुद को अलग करते हुए मामले के लिए उचित कोर्ट को नामित करने के लिए मुख्य न्यायाधीश के पास वापस लौटा दिया। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ की एकलपीठ ने यह आदेश उस समय पारित किया, जब अपर महाधिवक्ता की ओर से इस मामले के न्यायिक क्षेत्राधिकार को लेकर यह कहते हुए आपत्ति की गई कि चूंकि यह मामला एक पूर्व विधायक से जुड़ा है। 

अतः इस पर सांसद-विधायक के मामले देखने वाली अदालत द्वारा सुनवाई की जानी चाहिए। यह जमानत याचिका मऊ जिले के राम सिंह नाम के एक व्यक्ति की हत्या के मामले में दाखिल की गई है।  मुख्तार के अधिवक्ता के अनुसार, वर्ष 2009 में मऊ जिले में मुन्ना सिंह नाम के एक ठेकेदार को मार दिया गया था और हत्या के इस मामले में राम सिंह नाम का एक व्यक्ति गवाह था।  वर्ष 2010 में राम सिंह की भी हत्या कर दी गई। इसके बाद मऊ जिले के दक्षिण टोला पुलिस थाना में एक प्राथमिकी में आरोप लगाया गया कि हत्या के इस मामले में मुख्तार साजिशकर्ता था। 

मौजूदा जमानत याचिका में याची के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि हत्या के इस मामले में मुख्य आरोपी को पहली ही जमानत मिल चुकी है, इसलिए कथित तौर पर साजिशकर्ता की भूमिका निभाने वाले मुख्तार भी जमानत पाने के हकदार हैं। इसके अलावा यह भी बताया गया कि वह लगभग 14 साल से न्यायिक हिरासत में हैं, इसलिए सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशानुसार वह जमानत पाने का अधिकार रखते हैं।

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