Ramleela 2023: इटावा में 164 वर्ष से हो रही रामलीला की यह है खास बात, सड़क पर कलाकार लीलाओं का करते मचंन…

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Published By Nitesh Mishra
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इटावा में रामलीला में कलाकार सड़क पर मचंन करते है।

इटावा में नगर की सड़कों पर राम लक्ष्मण मेघनाथ युद्ध, सेतु निर्माण, अंगद-रावण संवाद और लक्ष्मण शक्ति का मनोमुग्धकारी लीलाओं का प्रदर्शन स्थानीय कलाकारों के द्वारा किया गया। रामलीला देखने के लिए देर रात तक लोगों की भीड़ जमा रही।

इटावा, अमृत विचार। जसवंतनगर में 164 वर्ष पुरानी अंतरराष्ट्रीय गौरव प्राप्त मैदानी रामलीला में रविवार को नगर की सड़कों पर राम लक्ष्मण मेघनाथ युद्ध, सेतु निर्माण, अंगद-रावण संवाद और लक्ष्मण शक्ति का मनोमुग्धकारी लीलाओं का प्रदर्शन स्थानीय कलाकारों के द्वारा किया गया। रामलीला देखने के लिए देर रात तक लोगों की भीड़ जमा रही। 

रविवार को मेघनाथ युद्ध में सफलता के लिए यहां की त्रिगमा केला देवी माता मंदिर पर पूजा अर्चन कर आशीर्वाद लिया फिर अपने दलबल के साथ नरसिंह मंदिर पहुंचा। जहां राम दल से सामना होने पर युद्ध छिड गया गया। नगर की सड़कों पर घमासान चले युद्ध के बाद दोनों दल युद्ध करते हुए रामलीला मैदान पहुंचे।

मैदानी लीला की शुरुआत श्री राम ने लंका पर चढ़ाई करने से पहले समुद्र तट पर अपनी आराध्य महादेव शंकर भगवान के शिवलिंग की पूजा कर स्थापना की। बानरी सेना ने नल-नील के सहयोग से लंका पर चढ़ाई करने के लिए समुद्र पर सेतु बनाया। युद्ध टालने के लिए प्रभु श्री राम ने अंतिम प्रयास के रूप में अंगद को रावण के दरबार में शांतिदूत के रूप में भेजा।

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अंगद रावण संवाद हुआ। अंगद ने राम से बैर त्याग सीता को वापस करने की सलाह दी, लेकिन रावण को सलाह समझ में नहीं आई। तब अंगद ने रावण के दरबार में अपना पैर जमा कर चुनौती देते हुए कहा कि दरबार में यदि कोई मेरा पैर हटा देगा तो श्रीराम की सेना बिना युद्ध किए खाली हाथ लौट जाएगी। पूरे दरबारी जोर लगते हैं।

इसके बाद भी कोई वीर अंगद का पैर तक नहीं हिला सका। अंत में स्वयं रावण उठता है, तो अंगद अपना पैर हटाकर कहते हैं कि मेरा पैर क्यों पकड़ते हो जाकर श्री राम का चरण पकड़ो तो कल्याण होगा। लेकिन अहंकारी रावण को कोई बात समझ में नहीं आई। अंगद ने वापस लौटकर श्रीराम से सारा वृतांत बताया और युद्ध की दुंदुभी बज उठती है।

इधर रावण अपने भाई कुंभकरण को जगाने के लिए दूतो को भेजता है। रावण की ओर से सेनापति मेघनाद और लक्ष्मण में घनघोर युद्ध होता है। अंत में मायावी मेघनाद के शक्ति बाण से लक्ष्मण मूर्छित हो जाते हैं। इससे रामदल में शोक की लहर दौड़ जाती है। लक्ष्मण का मूर्छित शरीर लेकर राम विलाप करते हैं। लंका के वैद्यराज सुषेन ने बताया कि लक्ष्मण का उपचार अत्यंत मुश्किल है।

अगली सुबह तक द्रोणागिरी पर्वत से संजीवनी बूटी लाकर पिलाने के बाद ही लक्ष्मण के प्राण बच सकते हैं। ये सुनकर पवनसुत हनुमान बूटी लाने जाते है। बे चन राम दल टिक-टिकी लगाये आसमान की तरफ देखकर हनुमान के आने का इंतजार कर रहे होते हैं तभी हनुमान जी संजीवनी बूटी लेकर आते हैं।

लक्ष्मण जी को जैसे ही बूटी दी जाती है वह श्री राम श्री राम कहते हुए खडे् होते हैं वैसे ही राम दल और उपस्थित दर्शकों के जय श्री राम के नारे लगाने से पूरा मैदान राममय हो जाता है। आज की लीलाएं समिति के कार्यकारी अध्यक्ष हीरालाल गुप्ता, प्रबंधक राजीव गुप्ता बबलू, उप प्रबंधक संयोजक अजेंद्र सिंह गौर, राजीव माथुर, रतन पांडे, निखिल गुप्ता, प्रभाकर दुबे, विशाल गुप्ता के निर्देशन में सफलतापूर्वक संपन्न हुई। भारी भीड़ को देखते हुए पुलिस व्यवस्था रही।

 

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