Kushagra Kidnapping Murder: हत्याकांड खोलने में गार्ड की अहम भूमिका… पुलिस ने कर दिया खुलासा

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Published By Nitesh Mishra
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कानपुर में कपड़ा कारोबारी के बेटे की अपहरण के बाद हत्या।

कानपुर में कपड़ा कारोबारी के बेटे की अपहरण के 30 लाख की फिरौती के बाद हत्या कर दी गई। इधर, हत्याकांड खोलने में गार्ड की अहम भूमिका रही।

कानपुर, अमृत विचार। श्री भगवती विला अपार्टमेंट के सिक्योरिटी गार्ड आचार्य नगर निवासी राजेंद्र ने बताया कि वह तीन वर्षों से इसी फ्लैट में नौकरी कर रहे हैं। उन्होंने इस हत्याकांड को खोलने में अहम भूमिका निभाई है। अपहरणकर्ता रात में जब फिरौती का लेटर लेकर मनीष कनोडिया के घर पहुंचे तो सबसे पहले आरोपी ने वह लेटर राजेंद्र प्रसाद को दिया और कहा कनोडिया साहब को दे आओ। लेकिन,राजेंद्र प्रसाद ने जैसे ही आरोपी को हेलमेट और रूमाल बांधे देखा तो उनको शक हो गया।

राजेंद्र ने पत्र लेने से मना कर दिया। कहा कि यह पत्र तुम खुद ही उनके घर पर दे आओ और हेलमेट और रूमाल नीचे ही रख कर जाना। इस पर आरोपी ने हेलमेट और रूमाल उतारा और ऊपर जाकर लेटर उनके घर पर फेंक कर चला गया। गार्ड राजेंद्र ने स्कूटी का नंबर नोट करना चाहा तो देखा कि आगे की नंबर प्लेट काले रंग से पुती थी और पीछे की नंबर प्लेट पर रूमाल बंधा था।

रूमाल हटाकर देखा तो गाड़ी में यूपी 78 एफडी 2204 नंबर लिखा था, हालांकि स्कूटी का नंबर गलत था। लेकिन, वाहन देखते ही राजेंद्र प्रसाद समझ गए कि यह स्कूटी उस टयूशन पढ़ाने वाली शिक्षिका की है जो पहले कुशाग्र को पढ़ने आती थी। जब यह बात राजेंद्र ने परिजनों को बताई तो उसके बाद परत दर परत खुलती चली गई। हत्याकांड खोलने में गार्ड की अहम भूमिका रही।

श्री भगवती विला अपार्टमेंट के सिक्योरिटी गार्ड आचार्य नगर निवासी राजेंद्र ने बताया कि वह तीन वर्षों से इसी फ्लैट में नौकरी कर रहे हैं। उन्होंने इस हत्याकांड को खोलने में अहम भूमिका निभाई है। अपहरणकर्ता रात में जब फिरौती का लेटर लेकर मनीष कनोडिया के घर पहुंचे तो सबसे पहले आरोपी ने वह लेटर राजेंद्र प्रसाद को दिया और कहा कनोडिया साहब को दे आओ।

लेकिन,राजेंद्र प्रसाद ने जैसे ही आरोपी को हेलमेट और रूमाल बांधे देखा तो उनको शक हो गया। राजेंद्र ने पत्र लेने से मना कर दिया। कहा कि यह पत्र तुम खुद ही उनके घर पर दे आओ और हेलमेट और रूमाल नीचे ही रख कर जाना। इस पर आरोपी ने हेलमेट और रूमाल उतारा और ऊपर जाकर लेटर उनके घर पर फेंक कर चला गया।

गार्ड राजेंद्र ने स्कूटी का नंबर नोट करना चाहा तो देखा कि आगे की नंबर प्लेट काले रंग से पुती थी और पीछे की नंबर प्लेट पर रूमाल बंधा था। रूमाल हटाकर देखा तो गाड़ी में यूपी 78 एफडी 2204 नंबर लिखा था, हालांकि स्कूटी का नंबर गलत था। लेकिन, वाहन देखते ही राजेंद्र प्रसाद समझ गए कि यह स्कूटी उस टयूशन पढ़ाने वाली शिक्षिका की है जो पहले कुशाग्र को पढ़ने आती थी। जब यह बात राजेंद्र ने परिजनों को बताई तो उसके बाद परत दर परत खुलती चली गई।

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