प्रयागराज: अशरफ के साथ ने बदल दी नफीस बिरयानी की तकदीर, कभी ठेले पर चलाता था छोटी सी दुकान

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Published By Sachin Sharma
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प्रयागराज। माफिया अतीक अहमद के भाई आशरफ और खुलदाबाद के गुलाबबाड़ी के रहने वाले नफीस की स्कूल से ही गहरी दोस्ती थी। बढ़ते दौर के बाद नफीस ने ठेले पर बिरयानी की दुकान खोल ली। आर्थिक तंगी से परेशान नफीस को अशरफ का साथ मिला और नफीस "नफीस बिरयानी" बन गया। दिन पर दिन नफीस अमीर होता गया। अशरफ के जेल जाने के बाद वह अशरफ के सारे खर्चे खुद उठाने लगा। 

लोग बताते हैं नफीस 2005 में वह बेहद तंगी से गुजर रहा था। उसके पास काफी तंगी थी। उस वक्त उसने करेली में ठेले पर बिरयानी की दुकान खोल ली। तंग हालात में उसके स्कूल के पुराने साथी रहे माफिया अशरफ से मदद मांगी और अशरफ नफीस की दोनो हाथ से साथ दिया।

पैसे, जमीन की मदद से नफीस ने सिविल लाइन्स में ईट ऑन बिरयानी के नाम से बड़ी दुकान खोल दी। जिसके बाद नफीस अशरफ के साथ जमीन का भी कारोबार करने लगा। फिर क्या था कमाई के साथ उसका रुतबा भी बढ़ने लगा, और इस तरह से वह नफीस बिरयानी के नाम से मशहूर हो गया। 

जेल से पेशी तक का उठाता था खर्च

50 हजार का इनामी नफीस 2021 में अशरफ के जेल जाने के बाद उसकी पैरवी से लेकर पेशी तक के खर्चे उठाता था। अशरफ की पत्नी जैनब के लिए भी रुपयों-गाड़ी का इंतजाम नफीस ही करता था।

करेली में छोटी सी दुकान से अपना कारोबार शुरू करने वाला इस आरोपी नफीस को माफिया की सरपरस्ती में कुछ ही सालों में फर्श से अर्श पर पहुंचने में देर नहीं लगा। ठेले पर बिरयानी बेचने वाला दुकानदार जमीनों फल बड़ा सौदागर बन बैठा था।

तीन मुकदमे दर्ज थे उमेश पाल हत्याकांड से पहले

खुल्दाबाद के गुलाबबाड़ी के रहने वाले नफीस पर उमेश पाल हत्याकांड से पहले कुल तीन मुकदमे दर्ज थे। इनमें से एक हत्या का प्रयास व एससी एसटी एक्ट का था। जबकि दो मुकदमे कोराना काल के दौरान महामारी अधिनियम के तहत लिखे गए थे।

इसके बाद उमेश पाल हत्याकांड में उसका नाम तब आया जब पुलिस को पता चला कि वारदात में इस्तेमाल क्रेटा कार उसकी ही थी। हालांकि तब पकड़े जाने के दौरान उसने बताया था कि घटना से कुछ महीनों पहले ही उसने यह कार रुखसार को बेच दी थी जो ट्रैवेल एजेंसी चलाता था।

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